एक छत के नीचे सभी बाजार
मॉल कल्चर से ग्राहकों के सामने विकल्पों की भरमार सासाराम (कार्यालय) : एक जमाना था, जब खरीदारी के लिए लोग महीनों पहले तैयारियां करते थे. विशेष रूप से छोटे शहरों व कस्बाई इलाके में रहनेवाले लोग किसी खास दिन या साप्ताहिक बाजार की प्रतीक्षा करते थे. लेकिन, जमाना बदला. साथ ही खरीदारी का ट्रेंड भी […]
मॉल कल्चर से ग्राहकों के सामने विकल्पों की भरमार
सासाराम (कार्यालय) : एक जमाना था, जब खरीदारी के लिए लोग महीनों पहले तैयारियां करते थे. विशेष रूप से छोटे शहरों व कस्बाई इलाके में रहनेवाले लोग किसी खास दिन या साप्ताहिक बाजार की प्रतीक्षा करते थे.
लेकिन, जमाना बदला. साथ ही खरीदारी का ट्रेंड भी बदला. लोगों के शौक भी तो बढ़े. लोगों के क्रय शक्ति बढ़ने से बाजारों में चहल-पहल तो बढ़ी ही, रिटेल सेक्टर से जुड़ीं कंपनियां अब सासाराम में भी अपना पांव पसारने लगीं. इसकी शुरुआत मॉल कल्चर से हुई. बाजार एक छत के नीचे सिमट गया. लोगों की जरूरत के सभी विकल्प एक जगह मौजूद हो गये.
आज मॉल कल्चर लोगों के दिलो-दिमाग पर छाया हुआ है. शहर के एकमात्र शोरूम वी मार्ट में युवाओं की उपस्थिति आये दिन बढ़ती जा रही है. वैसे मॉल में देखने-घूमने जाने वालों की तादाद दिनों-दिन बढ़ती जा रही है. कारण भी वाजिब है, एक ही छत के नीचे लोगों को जरूरत की सारी वस्तुएं उपलब्ध हो जा रही हैं.
सस्ता भी, बढ़िया भी
मॉल से खरीदारी करनेवाले अधिकतर ग्राहकों की एक ही राय है कि मॉल या मार्केट कॉम्प्लेक्स से खरीदारी करने का सबसे फायदा यही मिलता है कि लोगों के सामने विकल्पों की भरमार होती है.
सस्ता होने के कारण मध्यमवर्गीय परिवारों के लोगों के साथ कम आयवालों के लिए भी कपड़े सहित अन्य सामान ले सकते हैं. वैसे तो सासाराम शहर पहले भी व्यावसायिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा है. जहां, शहर का गोला बाजार कपड़े-अनाज के साथ अन्य समानों की खरीदारी के लिए मशहूर रहा है. अब इनके स्थान पर मॉल खुल रहे हैं.
व्यवसाय के पुराने तरीकों में हुआ बदलाव
व्यवसाय के पुराने तरीकों में बदलाव आने के साथ ही कंपनियों के साथ ग्राहकों के लिए भी बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो गयी हैं. गारमेंट्स सेक्टर में बच्चों से लेकर महिलाएं, यहां तक कि सभी वर्ग के लोगों के लिए सभी तरह के परिधान उपलब्ध हैं. वहीं युवाओं के लिए तो मॉल जैसे विशेष आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं.