करोड़ों खर्च, पर नहीं बनी सड़क
चुनावी माहौल में ही होती है सड़क बनाने की बात, फिर कोई पूछता तक नहीं सासाराम (नगर) : न्याय के साथ विकास. लेकिन, यह बात आज भी जिले की कई हिस्सों में धरातल पर नहीं दिखते हैं. कई क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां जाने के लिए सही सलामत सड़क नहीं है. इसको लेकर आये दिन […]
चुनावी माहौल में ही होती है सड़क बनाने की बात, फिर कोई पूछता तक नहीं
सासाराम (नगर) : न्याय के साथ विकास. लेकिन, यह बात आज भी जिले की कई हिस्सों में धरातल पर नहीं दिखते हैं. कई क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां जाने के लिए सही सलामत सड़क नहीं है. इसको लेकर आये दिन ग्रामीण धरना प्रदर्शन व अन्य आंदोलनात्मक कार्यक्रम करते हैं.
कुछ इसी तरह की गाथा पिछले 40 साल संजोये बैठा है सासाराम के अमरा-बभनुपरवा पथ. एक अभियंता द्वारा अपनी बिटिया की शादी में दहेज स्वरूप दी गयी आठ किलोमीटर लंबी सड़क पर निर्माण व मरम्मती कार्य के नाम पर अब तक लगभग दो करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, परंतु यह सड़क कभी भी एक मुश्त नहीं पायी है. बहरहाल इस सड़क से जुड़े गांव के लोगों की चकाचक व सरपट सड़क पर चलने की सपने धरी की धरी हीं रह गयी है.
चुनावी मुद्दा बन कर रह गयी सड़क
1977 में पथ के अस्तित्व में आने के बाद आज तक यह सड़क नेता से लेकर गांव वालों तक के लिए चुनावी मुद्दा बन कर रह गयी है. जब-जब चुनाव आते हैं, भाग्य अजमाने वाले नेता मतदाताओं को सब्ज बाग दिखा कर अपनी उल्लू सीधा कर तो लेते हैं, पर चुनाव जीतने के बाद वह भी उसी राह पर चलते दिखते हैं, जिस रास्ते उनके पुराने साथी चलते थे.
सड़क से सदन तक उठी आवाज
एक मुश्त सड़क बन जाये, इसके लिए सड़क से सदन तक आवाज उठायी गयी है. लेकिन, न तो सरकार के कान पर जूं रेंग पायी है और न हीं प्रशासन व विभाग पर. सिर्फ आश्वासन के सिवाय गांव वालों को कुछ भी हासिल नहीं हो सका है. बराढ़ी निवासी जनेश्वर सिंह के नेतृत्व में सड़क निर्माण संघर्ष मोरचा ने जहां समाहरणालय में धरना प्रदर्शन किया, वहीं क्षेत्रीय विधायक जवाहर प्रसाद ने सड़क निर्माण को लेकर विधान सभा में सवाल उठायी. पर, आंदोलन व आवाज दोनों हीं रंगत नहीं ला पायी है.
बाधक बनी शिकायत
इस पथ के लिए शिकायत एक नासूर समस्या बनी है. जैसे हीं कार्य आधी दूरी की सफर तय किया, वैसे हीं जुड़े कुछ गांव के लोग गुणवत्ता को लेकर सवाल उठा कागज दौड़ाने का काम शुरू करते हैं.
कहते हैं अधिकारी
ग्रामीण कार्य प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता नरेंद्र कुमार ने कहा कि प्रकाल्लित राशि में मेटेरियल की निर्धारित दर को बढ़ाने के लिए संवेदक हाई कोर्ट में मुकदमा दायर किया है. इस लिए निर्माण कार्य में तकनीकी पेच फंसा गया है. जिसे दूर करने का प्रयास जारी है. वैसे संबंधित कार्य एजेंसी को डिफॉल्टर घोषित करते हुए काली सूची में डाल दी गयी है.