रबी की खेती पर ग्रहण

बेमौसम बरसात व नहर के पानी से फसल को नुकसान सासाराम(ग्रामीण) : इस वर्ष अनेर-मघेर बरसने व नहरों में बेसमय पानी छो़ड़े जाने से किसानों की रबी फसल को भारी नुकसान पहुंचा है. उर्वरक भी प्रचुर मात्र में उपलब्ध नहीं हुआ तथा सिंचाई के चार दिनों के अंतराल में मघेर बरसने के कारण फसले पीले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 24, 2014 5:56 AM

बेमौसम बरसात व नहर के पानी से फसल को नुकसान

सासाराम(ग्रामीण) : इस वर्ष अनेर-मघेर बरसने व नहरों में बेसमय पानी छो़ड़े जाने से किसानों की रबी फसल को भारी नुकसान पहुंचा है. उर्वरक भी प्रचुर मात्र में उपलब्ध नहीं हुआ तथा सिंचाई के चार दिनों के अंतराल में मघेर बरसने के कारण फसले पीले पड़ गये हैं.

किसान उर्वरक की मात्र बढ़ा कर फसलों को पुराने र्ढे पर लाने की कोशिश जारी है. बावजूद स्थिति दिनोंदिन भयावह होती जा रही है. ऊंचे उपजाऊ भूमि पर की गयी बुआई को समय पर पानी नहीं मिलने के कारण फसल जम नहीं पायी. इससे किसानों के सामने समस्या उत्पन्न हो गयी है.

वहीं ऊंची कीमतों पर उर्वरक खरीदना पड़ रहा है. खर्च की अधिकता की वजह से जरूरत भर खरीदी नहीं कर सके. वहीं, समय से नहरों में जलापूर्ति नहीं की गयी. इससे रवि के फसल पर प्रतिकूल असर पड़ने की संभावनाएं दिख रही है. उत्पादन भी प्रभावित होगा. इससे किसानों के होश उड़ गये हैं.

क्या है विभागीय तैयारी

कृषि विभाग ने उर्वरक की लक्ष्य 48 हजार मीटरिक टन यूरिया,13750 मीटरिक टन डीएपी,1700 मीटरिक टन एनपी के का लक्ष्य निर्धारित किया है तथा खेती के लिए उपस्कर व उपकरण कृषि मेला आयोजित कर किसानों को उपलब्ध कराया है. अनुदानित दरा पर कृषि उपकरण किसानों को उपलब्ध कराया है.

डीजल पंप सेटों पर आधारित किसानों को डीजल भी अनुदान के आधार पर उपलब्ध कराया जा रहा है. किसानों को बेहतर खेती के गुर भी सिखाये जा रहे है. नि:शुल्क वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को सलाह दिये जायेंगे.

किसानों की तैयारी

किसान पीली पड़ी फसलों में उर्वरक बढ़ा कर दे रहे हैं, ताकि फसल वापस र्ढे पर लौट जाये. चूंकि लागत के अनुपात में मुनाफा नहीं हो रहा, इसीलिए जोत बंदोबस्ती करने की तैयारी हो रही है. छोटे किसानों ने तो खेती से सरेंडर कर दिया है.

सुधार की व्यवस्था

खेती को उद्योग का दर्जा मिले, डीजल अनुदान प्रति एकड़ निर्धारित हो, सरकारी दर पर उर्वरक की आवंटन, फसल बीमा की राशि तत्काल मिले, सोन नहरों की आधुनिकीकरण व समय से नहरों में जलापूर्ति, जमाखोरों पर छापेमारी, फसल की अतिरिक्त बोनस, खलिहानों में खरीदारी, बिचौलियों के खिलाफ कार्रवाई होने से किसानों की हालत व दशा में सुधार हो सकते हैं.

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