पुलिस की कार्रवाई पर निर्भर है उत्पाद विभाग
नहीं रुक रही जिले में शराब की तस्करी उत्पाद विभाग से कहीं ज्यादा सफल है पुलिस सासाराम (नगर) : जिले में शराब बिक्री के विरुद्ध अभियान में उत्पाद विभाग पुलिस पर निर्भर है. तस्करी के विरुद्ध अभियान में उत्पाद विभाग से कहीं ज्यादा जिला पुलिस सफल रही है. इस धंधे में अधिक मुनाफा देख पहले […]
नहीं रुक रही जिले में शराब की तस्करी
उत्पाद विभाग से कहीं ज्यादा सफल है पुलिस
सासाराम (नगर) : जिले में शराब बिक्री के विरुद्ध अभियान में उत्पाद विभाग पुलिस पर निर्भर है. तस्करी के विरुद्ध अभियान में उत्पाद विभाग से कहीं ज्यादा जिला पुलिस सफल रही है. इस धंधे में अधिक मुनाफा देख पहले के शराब माफिया व कई सफेदपोश जुड़ गये हैं. पहले की तरह झोंपड़पट्टी में होने वाला धंधा नहीं रह गया है. अब यह हाइ प्रोफाइल व्यापार हो गया है. लक्जरी गाड़ियों से शराब की तस्करी की जा रही है. बड़े लोग मोबाइल से इस धंधा को चला रहे हैं.
उत्पाद व पुलिस की कार्रवाई में पकड़े गये लोग तस्कर नहीं, बल्कि माफियाओं के कर्मचारी हैं. उत्पाद विभाग एक अप्रैल, 2016 से पहले वाली रणनीति पर चल रही है. उत्पाद विभाग स्टाफ व संसाधन का रोना रोती थी. अब तो आपके पास सशस्त्र बल, वाहन, मोबाइल, बाइक व स्थानीय पुलिस का सहयोग मिल रहा है. फिर आपके अभियान में सफलता क्यों नहीं मिल रही है. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे बाजारों से ले कर तीनों अनुमंडल मुख्यालय में शराब की बिक्री चोरी चुपके हो रही है. मोबाइल से होम डिलिवरी की जा रही है. खुफिया इनपुट की इस रिपोर्ट से पुलिस व उत्पाद विभाग दोनों सहमत है. पुलिस इस पर कार्रवाई कर बड़े पैमाने पर शराब की बरामदगी करती रही है.
हाल के दिनों में मुफस्सिल थाना क्षेत्र के खनन क्षेत्र बढ्इया बाग से दो बार लाखों रुपये का अंगरेजी शराब बरामद की. जुलाई माह नोखा पुलिस लगभग 20 लाख का शराब व गांजा बरामद की व कई गिरफ्तारियां भी की गयी. जून में दिनारा पुलिस एक बोलेरो से अंगरेजी शराब पकड़ी, जुलाई में अगरेर थाना, 16 जुलाई को नासरीगंज थाना की पुलिस पैक्स अध्यक्ष के घर बड़े पैमाने पर शराब बरामद की. ऐसा एक भी उपलब्धि उत्पाद विभाग के नाम नहीं जुड़ सका है.
लगातार चल रहा अभियान
उत्पाद विभाग के पास खुफिया तंत्र है. चौकीदारों की बड़ी फौज है. एक थाना दूसरे थाना को सहयोग करता है और सबसे बड़ी बात है थाना में लोगों का आना जाना रहता है. इससे सूचनाओं का अदान-प्रदान होता रहा है. पुलिस समाज से जुड़ी है. यह बात उत्पाद विभाग के साथ है. फिर भी उत्पाद विभाग लगातार अभियान चला रही है. सफलता भी मिल रही है. संयोग से भाग्य साथ नहीं दे रहा है.
रंजन प्रसाद, उत्पाद निरीक्षक