सासाराम में खुले कई निजी बैंक, जो सरकारी बैंक के प्रतिस्पर्धी बन कर उभरे
सासाराम, कार्यालयः एक जमाना था जब बैंक में खाता रखना और पैसा जमा करना शान-शौकत की चीज मानी जाती थी. लेकिन, अब शहरी क्या, देहाती क्षेत्र के लोग भी बैंकों की सेवा लेने में अव्वल दिख रहे हैं. वहीं, सरकार ने भी योजनाओं का समय लाभ लेने के लिए बैंक खाता खोलना अनिवार्य कर दिया […]
सासाराम, कार्यालयः एक जमाना था जब बैंक में खाता रखना और पैसा जमा करना शान-शौकत की चीज मानी जाती थी. लेकिन, अब शहरी क्या, देहाती क्षेत्र के लोग भी बैंकों की सेवा लेने में अव्वल दिख रहे हैं. वहीं, सरकार ने भी योजनाओं का समय लाभ लेने के लिए बैंक खाता खोलना अनिवार्य कर दिया है, लेकिन सरकारी बैंकों की निष्क्रियता व कर्मचारियों की लापरवाही का नतीजा है कि लोगों का काम आसान होने की बजाय और पेचीदगी भरा हो रहा है.
यहीं कारण है कि अब सासाराम शहर में भी धड़ाधड़ निजी बैंकों की शाखाएं खुल रही हैं. साथ ही, सरकारी बैंकों की तुलना में लगभग सभी निजी बैंक अपने बेहतर सेवाओं से ग्राहकों को आकर्षित करने में काफी हद तक सफल होते दिख रहे हैं. शहर में एक्सिस बैंक, आइडीबीआइ, आइसीआइसीआइ व एचडीएफसी सहित कई निजी बैंक हैं जो सरकारी बैंकों के प्रतिस्पर्धी बन कर उभरे हैं.
सुविधाओं का घोर अभाव
उदारीकरण व वैश्वीकरण के पूर्व देश में सरकारी बैंकों का एकछत्र राज था. बैंक प्रबंधन अपनी मरजी से ग्राहकों के साथ बैंकिंग करते थे. हालांकि, स्थिति में अभी भी बहुत परिवर्तन नहीं हुआ है और इसी का नतीजा है कि लोगों की भीड़ निजी (प्राइवेट) बैंकों में बढ़ती जा रही है. बात केवल सुविधाओं की करें, तो बैंक परिसर की साफ-सफाई, बैंक कर्मचारियों द्वारा ग्राहकों के साथ अच्छा बरताव व बैंक में सहयोगात्मक व्यवहार लोगों को सहज की आकर्षित कर रहा है. एक निजी बैंक के वरीय अधिकारी ने बताया कि यदि पीएसयू (सरकारी बैंक) अपनी जिम्मेवारियों व जवाबदेही को समझते, तो निजी बैंकों की ओर लोगों का झुकाव नहीं होता.