पुलिस की मदद करने के कारण गयी पति की जान

परिजनों को आश्वासन नहीं परिणाम चाहिए सासाराम नगर : पुलिस का मददगार बनने से खार खाये अपराधी पत्रकार धर्मेंद्र सिंह को गोली मार कर हत्या कर दिये. दिवंगत पत्रकार की पत्नी रिंकु देवी ने कहा कि मेरे पति की किसी अपराधी से जाति अदावत नहीं थी. फुटबॉल खेलना व पत्रकारिता करना ही उनकी दिनचर्या थी. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 15, 2016 8:35 AM
परिजनों को आश्वासन नहीं परिणाम चाहिए
सासाराम नगर : पुलिस का मददगार बनने से खार खाये अपराधी पत्रकार धर्मेंद्र सिंह को गोली मार कर हत्या कर दिये. दिवंगत पत्रकार की पत्नी रिंकु देवी ने कहा कि मेरे पति की किसी अपराधी से जाति अदावत नहीं थी. फुटबॉल खेलना व पत्रकारिता करना ही उनकी दिनचर्या थी.
हंसमुख व खुले दिल के मेरे पति घर के बच्चों के साथ बच्चे की तरह व्यवहार करते थे. सास-ससुर हमेशा कहते थे धर्मेंद्र कभी बड़ा नहीं होगा. गांव व क्षेत्र के लोगों को मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते थे. हत्या में शामिल किसी अपराधी से उनकी कोई दुश्मनी नहीं थी. वर्ष 2007 में नहौना ग्रामीण बैंक के शाखा प्रबंधक अश्विनी कुमार गुप्ता की हत्या में डूमरियां निवासी पप्पू सिंह मुख्य आरोपी था. पुलिस मामले की जांच के दौरान मेरे पति से कई बार बातचीत की थी.
पप्पू को लगा कि धर्मेंद्र सिंह मेरे खिलाफ पुलिस को मदद कर रहा है. जमानत पर जेल से छूटने के बाद स्थिति सामान्य हो गयी थी. कई बार मेरे पति से बातचीत भी हुई थी. इसी बीच उसको सजा हो गयी, और वह जेल चला गया. उसके अंदर क्या चल रहा था. इससे हमलोग बेपरवाह थे. पत्रकारिता से जुड़े होने के कारण मेरे पति को पुलिस अधिकारियों से अच्छा संबंध था. कई अधिकारियों का मेरे घर भी आना जाना था. मेरे पति भी उनलोगों के संपर्क में रहते थे. चूंकि पत्रकार व पुलिस एक दूसरे के पूरक होते है. इन्हीं बातों से पप्पू खार खाये बैठा था. उसे लग रहा होगा कि इस मामले में पत्रकार की भूमिका है. मेरे पति की हत्या पुलिस से अच्छा संबंध होने के कारण हुई है.
पत्रकार धर्मेंद्र की बड़ी बहन मीना देवी बिलखते हुए कहा भाई की मौत के बाद पुलिस व प्रशासन के लोग खूब आश्वासन दे रहे हैं. हमलोगों को आश्वासन नहीं परिणाम चाहिए. डीआइजी ने कहा था 48 घंटे के अंदर सभी अपराधियों को पकड़ लिया जायेगा. सरकार से जुड़े लोग बड़ी-बड़ी बातें किये हैं.
तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं, पत्नी है हमलोग गरीब किसान हैं अब इनका गुजारा कैसे होगा. मेरे भाई कि विधवा को नौकरी, सम्मानजनक मुआवजा व बच्चों की पढ़ाई सुनिश्चित करें सरकार. मेरा भाई पत्रकार था.अपराधी नहीं. कर्तव्य का पालन करने में उस की जान गयी है. समाज के दुश्मनों ने एक सच्चे कलम के सिपाही को मौत के घाट उतार दिये. अब सरकार व प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि पीड़ित परिवार के बेहतरी के लिए साकारात्मक कदम उठाये.

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