बुकिंग काउंटर का ख्याल नहीं

सासाराम (नगर):पिछले पांच साल में स्थानीय रेलवे स्टेशन के विकास के साथ-साथ आमदनी में भी वृद्धि हुई है. लेकिन, स्टेशन संसाधनों की कमी का दंश फिर भी ङोलने को मजबूर है. बुकिंग काउंटर इसका अनूठा मिसाल है. इसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ता है.आमदनी की बात करें, तो पिछले वित्तीय वर्ष में यात्री किराया से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 22, 2014 1:52 AM

सासाराम (नगर):पिछले पांच साल में स्थानीय रेलवे स्टेशन के विकास के साथ-साथ आमदनी में भी वृद्धि हुई है. लेकिन, स्टेशन संसाधनों की कमी का दंश फिर भी ङोलने को मजबूर है. बुकिंग काउंटर इसका अनूठा मिसाल है. इसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ता है.आमदनी की बात करें, तो पिछले वित्तीय वर्ष में यात्री किराया से स्टेशन को जितना राजस्व प्राप्त हुआ था, उससे अधिक इस वित्तीय वर्ष के दस माह में हीं विभाग को मिल गये हैं, लेकिन काउंटर पर न तो आवश्यकता के अनुरूप क्लर्क की तैनाती है और न हीं कंप्यूटर व अन्य ऑपरेटिंग मशीन की. मांग के बावजूद मंडल कार्यालय से आवश्यक समानों की आपूर्ति नहीं हो पाती है.

सुरक्षा भगवान भरोसे

बुकिंग काउंटर की सुरक्षा अक्सर भगवान भरोसे रहती है. इसके पीछे जीआरपी व आरपीएफ के पास कार्यबल की कमी माना जाता है, लेकिन विभागीय लापरवाही का शिकार यात्र टिकट लेने वालों को होना पड़ता है. रोहतास चैंबर ऑफ कॉमर्स के धनंजय खंडेलवाल की मानें, तो कई बार संसाधन बढ़ाने के लिए डीआरएम समेत अन्य अधिकारियों को आवेदन भी दिये गये, परंतु समय पर टिकट बुकिंग से संबंधित उपकरण को उपलब्ध नहीं करा पाता है.

10 माह में 16.46 करोड़

स्थानीय बुकिंग काउंटर पर टिकट के लिए सात खिड़की व्यवस्था है, लेकिन मात्र चार काउंटर हीं कार्यबल के अभाव में काम करते हैं. वह भी आधे अधूरे.आरक्षण के बने दो काउंटर दोपहर बाद दो बजे तक चलते हैं, उसके बाद एक काउंटर के सहारे टिकट बनाने का काम होता है. उसी तरह अनारक्षित के चार काउंटर में से दो हीं कार्यरत हैं. काउंटर से उस वक्त कर्मी गायब रहते हैं, जब यात्रियों की लंबी कतार खिड़की के पास लगी रहती है. टिकट नहीं मिलने पर कई यात्री बेटिकट हीं यात्र कर लेते हैं.इसके बावजूद पिछले दस माह में यात्री किराया से 16,46,68,909 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है, जबकि वर्ष 2012- 2013 में कुल आमदनी लगभग साढ़े पंद्रह करोड़ थी.

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