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पहाड़ी पर बहती है भक्ति की धारा

पर्व-त्योहारों पर रोहतास-कैमूर के धार्मिक स्थलों पर उमड़ेगी भीड़ सासाराम (नगर) : रोहतास व कैमूर जिले की धरती का धार्मिक महत्व अति प्राचीन है. चाहे ताराचंडी धाम व भलुनी स्थित यक्षिणी धाम हो या फिर कैमूर पहाड़ी गुफा में छुपे गुप्ता धाम या सोन नद के टीले पर स्थित बांदू का शिवलिंग. इन स्थलों का […]

पर्व-त्योहारों पर रोहतास-कैमूर के धार्मिक स्थलों पर उमड़ेगी भीड़

सासाराम (नगर) : रोहतास व कैमूर जिले की धरती का धार्मिक महत्व अति प्राचीन है. चाहे ताराचंडी धाम व भलुनी स्थित यक्षिणी धाम हो या फिर कैमूर पहाड़ी गुफा में छुपे गुप्ता धाम या सोन नद के टीले पर स्थित बांदू का शिवलिंग. इन स्थलों का विशेष महत्व आज भी बरकरार है, जहां हमेशा भक्ति का बयार बहती रहती है.

भलुनी स्थिति यक्षिणी धाम में चैत्र नवरात्र (रामनवमी) के बाद माता के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. वहीं, सावन के शुल्क पक्ष में ताराचंडी धाम में 15 दिनों तक हजारों लोग मत्था टेकने आते हैं. उसी तरह कैमूर पहाड़ी स्थित गुप्ता धाम, सोन नद के टीले पर स्थित बांदू के दशाशीष नाथ, रोहतास गढ़ किला स्थित रोहितासन मंदिर, गोड़इला पहाड़ी स्थित गुप्त कालीन शिवलिंग, उली स्थित शिव मंदिर, देव मरकडेय के शिवमंदिर पहुंच कर मन्नत मांगते हैं. रोहितासन मंदिर सातवीं सदी का है, तो बांदू के दशाशीष नाथ महादेव पूर्व मध्य कालीन हैं, जहां राजा-महाराजाओं ने भगवान शिव की आराधना करते थे.

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