शव आते ही चीख उठा बसकटिया गांव

बारुण रेलवे क्रॉसिंग पर मालगाड़ी की चपेट में आने से हो गयी थी मौत अकबरपुर : रविवार की शाम सात बजे बारुण रेलवे क्रॉसिंग पर मालगाड़ी की चपेट में आने से तीन युवक की मौत हो गयी थी. इसमें एक रोहतास थाना अंतर्गत बसकटिया गांव का 30 वर्षीय युवक लाल बाबू उर्फ लल्लू की भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 9, 2017 1:30 AM

बारुण रेलवे क्रॉसिंग पर मालगाड़ी की चपेट में आने से हो गयी थी मौत

अकबरपुर : रविवार की शाम सात बजे बारुण रेलवे क्रॉसिंग पर मालगाड़ी की चपेट में आने से तीन युवक की मौत हो गयी थी. इसमें एक रोहतास थाना अंतर्गत बसकटिया गांव का 30 वर्षीय युवक लाल बाबू उर्फ लल्लू की भी मौत हो गयी. बारुण जीआरपी के द्वारा देर रात परिजनों को खबर मिली व गांव में मातम का माहौल छा गया. मृतक लल्लू के पिता रामाशीष सिंह व चाचा प्रवेश सिंह बारुण पहुंचे व शव का पोस्टमार्टम सासाराम करा कर सोमवार को
11 बजे दिन में जैसी ही शव लाये मां जनपतिया देवी रोते रोते बेहोश हो गयी. कहने लगी बेटा ते तो कमाये गईल रहे. गौरतलब है कि मृतक चार भाई थे और ये दूसरे नंबर पर थे. इनकी शादी 2013 में मेह में हुई थी, जो अपनी पत्नी रिंकु दंवी के साथ ससुराल में रह कर प्लांट में काम करता था. पत्नी अपने मायके से खबर मिलते ही ससुराल पहुंची. जैसे-जैसे खबर लोगों को मिलती गयी लोग जुटते रहे. मृतक के तीनों भाई बाहर प्लांट में कार्य किया करते हैं, जो अपने भाई की मौत की खबर मिलते ही घर के लिए रवाना हो चुके थे.
हाथ रोक के पहिले हवा देख ल ए भाई
ई, हाथ रोक के. पहिले हवा देख ल, फिर हाथ खोलिह. नहीं त रखल धन खरच हो जाइ. बाद में पछताये की पड़ी. मतदाता केकरो ना होखस. खाइहन तोहार, वोट मरिहन दोसरा के. यह नसिहत अधिकांश उन प्रत्याशियों को उनके शुभचिंतक दे रहें हैं, जो दूसरे वार्ड से किस्मत आजमा रहे हैं. शुभचिंतकों के चिंतित होने का कारण भी है. अपने वार्ड के लोग नहीं हैं. दूसरों पर भरोसा उतना किया नहीं जा सकता. क्या पता खा-पीकर बदल जाये. चुनाव बाद भेंट होना भी मुश्किल हो जायेगा. एक प्रत्याशी के घर पर हुई बात की चर्चा पोस्टऑफिस चौक के समीप माजिद की चाय दुकान पर बैठे लोगों में बहस का मुद्दा बना था. एक ने कहा कि शुभचिंतक की बात सही है. दूसरे वार्ड के मतदाता पर उतना भरोसा नहीं किया जा सकता. अपने घर के करीब का तो है नहीं कि हारने के बाद उससे हिसाब किया जा सके. उसके बदलने का डर हमेशा बना रहेगा. दूसरे ने कहा कि नेता और उसके शुभचिंतक अपने जैसा वोटरों को समझते हैं. अपने चुनने वालों को ही चूना लगा देते हैं. जनता के पैसे डकार जाते हैं. बावजूद इसके वोटर नहीं बोलते. पानी के कनेक्शन के लिए पैसा देने के साथ वोटर वोट देते हैं. अपने टैक्स के पैसे की लूट के बाद चुप रहते हैं. इसके बाद भी वोटर पर भरोसा नहीं, इसका मतलब नेता दूसरे वार्ड के लोगों को भारी चूना लगाने की नियत से आया है. तीसरे ने कहा कि भाई, जो हो अपना, अपना होता है और बाहरी-बाहरी.

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