बुनियादी सुविधाओं से वंचित प्रखंड का इकलौता बालिका विद्यालय

पांच सौ छात्राओं के लिए महज पांच कमरे छह शिक्षकों के भरोसे 522 बच्चियों का भविष्य एक ही वेतन पर दोगुना परिश्रम करने को मजबूर हैं शिक्षक दावथ(रोहतास) : प्रखंड का एकमात्र बालिका उच्च विद्यालय अपने अस्तित्व के लिए आंसू बहा रहा है. अपने स्थापना काल से ही मूलभूत सुविधाओं एवं संसाधनों का अभाव झेल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 29, 2017 9:53 AM

पांच सौ छात्राओं के लिए महज पांच कमरे

छह शिक्षकों के भरोसे 522 बच्चियों का भविष्य

एक ही वेतन पर दोगुना परिश्रम करने को मजबूर हैं शिक्षक

दावथ(रोहतास) : प्रखंड का एकमात्र बालिका उच्च विद्यालय अपने अस्तित्व के लिए आंसू बहा रहा है. अपने स्थापना काल से ही मूलभूत सुविधाओं एवं संसाधनों का अभाव झेल रहे इस विद्यालय पर किसी भी वरीय अधिकारी की नजर नहीं पड़ी हो, ऐसी भी बात नहीं है. प्रखंड स्तर पर किसी भी वरीय अधिकारी का कार्यक्रम, पंचायत चुनाव व पैक्स चुनाव का मतगणना का कार्य इसी प्रोजेक्ट बालिका विद्यालय में होता है. इसके बावजूद किसी अधिकारी की नजर इस विद्यालय की दयनीय स्थिति पर नहीं पड़े, तो अधिकारियों को संवेदनहीन नहीं तो और क्या कहा जायेगा.

इस क्षेत्र के सांसद और विधायक भी इस विद्यालय की अनदेखी करते आ रहे हैं. यह विद्यालय दिनारा विधान सभा क्षेत्र में पड़ता है. यहां मौजूदा विधायक राज्य में मंत्री हैं. इस स्कूल में महज पांच शिक्षक हैं जिन पर पांच कमरों में 520 बच्चियां पढ़ती हैं. यहां की छात्राओं को स्कूल आने से रोकना पड़ता है क्योंकि एक साथ 522 छात्राओं के बैठने की जगह नहीं है.

स्थापना के समय समिति की देखरेख में विद्यालय का संचालन होता था. उस समय के शिक्षक बिना वेतन के ही रिटायर्ड हो गये. कई सामाजिक लोग भी समय निकाल कर छात्राओं को पढ़ाते थे. इनमें से दावथ के उप प्रमुख हरिहर राय तो हाल के दिनों तक पढ़ा रहे थे. वहीं. 2003-04 में दावथ के तत्कालीन बीडीओ वीरेंद्र प्रसाद भी समय निकाल कर क्लास लिया करते थे. वर्तमान समय की स्थिति यह है कि दावथ ,उसरी दोलैचा, बभनौल सहित बगल के मध्य विद्यालयों की छात्राओं का नामांकन प्रोजेक्ट स्कूल में संसाधनों के अभाव में नहीं लिया जाता है. उन छात्राओं को सात से दस किलो मीटर दूर के हाइस्कूलों में नामांकन कराना पड़ता है.

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