महिलाओं के मनोहारी गीतों से गूंज रहे खेत
खेतों में रोपनी करती महिलाएं 'बरसे बरसे सावनवां चुवेला बंगला, परदेशियां बलमू के कवन आसरा' एवं 'उमड़-घूमड़ के बरसेला सावनवां ए रामा..' जैसे गीत गा रही हैं. किसान खेतों की जोताई के साथ ही अन्य तैयारियों में जुट गये हैं.
चेनारी. इस बार समय से मॉनसून ने दस्तक दे दी है. श्रावण मास के शुरुआती से हो रही झमाझम बारिश किसानों की खुशी बढ़ गयी है. रोपनी को लेकर किसान पहले से ही सजग थे. अब और भी किसानों का मनोबल बढ़ गया है. किसान जल्द ही रोपनी समाप्त करने में जुटे हुए हैं. ऐसे में महिलाओं द्वारा बारिश से फुहार के बीच रोपनी बड़ी मनोभावन लग रही है. खेतों में रोपनी करती महिलाएं ‘बरसे बरसे सावनवां चुवेला बंगला, परदेशियां बलमू के कवन आसरा’ एवं ‘उमड़-घूमड़ के बरसेला सावनवां ए रामा..’ जैसे गीत गा रही हैं. किसान खेतों की जोताई के साथ ही अन्य तैयारियों में जुट गये हैं.
रिमझिम फुहारों के बीच रोपनी करनेवाली महिलाएं राहत की सांस ले रही हैं. खेतों में धान की रोपनी को लेकर उत्साह का वातावरण कायम है. खेतों में भरपूर पानी पाकर किसानों की छाती चौड़ी हो गयी है. ससमय बारिश से किसानों का मनोबल काफी बढ़ा है. रोहिणी नक्षत्र के अंतिम दौर में लगाये गये धान के बिचड़े तैयार होने से किसान कृषि कार्य में जुट गये हैं.
इधर, वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण को लेकर दूसरे प्रदेशों से अपने गांव लौटे प्रवासी मजदूरों के चलते कृषि कार्यों में भरपूर सहयोग मिल रहा है. किसानों को मजदूरों के लिए अब दर-दर की ठोकरें नहीं खानी पड़ रही हैं. अचानक बिचड़ा तैयार होने के बाद महिला कामगारों से अधिक काम निकालना संभव नहीं है. नतीजतन, दूसरे जिले से पुरुष रोपनहार आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं.
किसान विनय कुमार सिंह, जगदीश यादव, बबलू यादव ने बताया कि बहुत दिनों के बाद इस साल समय पर माॅनसून आया है. इसको लेकर किसानों में काफी उत्साह का माहौल कायम है. मल्हीपुर गांव के किसान ललन सिंह, धर्मेंद्र कुशवाहा,मुनेश्वर सिंह, कमलेश सिंह यादव ने कहा कि रोहिणी नक्षत्र से लेकर अब तक हुई झमाझम बारिश के बाद इस बार बेहतर उत्पादन की उम्मीद जगी है. किसान वीरेंद्र सिंह ने कहा कि इस इलाके में खेती मॉनसून पर ही आश्रित है. इस साल अच्छी फसल उत्पादन की उम्मीद है.
posted by ashish jha