शिक्षा का अधिकार कानून (RTE) के तहत एडमिशन लेने के लिए स्कूल रुचि नहीं ले रहे हैं. जिले में आरटीइ के तहत बच्चों का एडमिशन के लिए सिर्फ 549 स्कूल रजिस्टर्ड हुए हैं, जबकि 2022 में जिले में प्राइवेट स्कूलों की संख्या करीब ढाई हजार थी. वहीं इस वर्ष यह संख्या करीब तीन हजार हो गयी है. लेकिन अब तक जिले के 1097 स्कूलों ने ही इ-संबधन पोर्टल पर आरटीइ रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन दिया है. आरटीइ के तहत रजिस्टर्ड स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें आरटीइ अंतर्गत एडमिशन के लिए आरक्षित होती हैं. इस हिसाब से पिछले दो वर्षों में इन रजिस्टर्ड 549 स्कूलों में 8213 बच्चों का एडमिशन आरटीइ के तहत लेना था. लेकिन इनमें सिर्फ 371 स्कूलों ने 3,016 बच्चों का ही एडमिशन लिया. इनमें कई स्कूलों ने सीटें खाली रहते हुए आरटीइ के तहत बच्चों का नहीं एडमिशन लिया.
डीइओ की ओर से जिले में आरटीइ के अंतर्गत स्कूलों को 10 अप्रैल तक आरटीइ के तहत एडमिशन की सूची जिला स्तरीय कार्यालय में जमा कराने का निर्देश दिया गय है. वहीं, जिन स्कूलों ने इ-संबंधन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है, उन्हें 22 अगस्त से पहले रजिस्ट्रेशन कराने का निर्देश दिया गया है.
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प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद ने बताया कि स्कूलों को पिछले चार साल से आइटीइ की बकाया राशि सरकार की ओर से नहीं मिली है. इसके अलावा आरटीइ के तहत जिन बच्चों ने एडमिशन लिया और प्रमोट कर आगे की कक्षा में गये, उनकी बकाया राशि भी स्कूलों को नहीं मिली है, जिससे स्कूल आरटीइ के तहत एडमिशन लेने से कतराते हैं. उन्होंने कहा कि आरटीइ रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया जटिल होने से भी कई स्कूल इ-संबंधन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाते हैं.
ऑल इंडिया अभिभावक संघ के अध्यक्ष राकेश राय ने कहा कि सीबीएसइ के निर्देश के बावजूद निजी स्कूल शिक्षा के अधिकार कानून को नहीं मानते हैं. उन्होंंने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार हर बच्चे का है, लेकिन इसके तहत कई स्कूलों में नामांकन नहीं लिया जाता है. स्कूल संचालक जानबूझकर इ-संबंधन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं कराते हैं,ताकि वे आइटीई के दायरे से बाहर रहें.
वर्ष- स्कूल- एडमिशन
2018-19- 330- 2611
2019-20- 279- 2174
2020-21- 68- 573
2021-22- 81- 769
2022-23- 290- 2247