सजायाफ्ता लोगों की रिहाई के नियम बदले जा सकते हैं, तब आम माफी क्यों नहीं? सुशील मोदी ने पूछा सवाल

सुशील मोदी ने कहा कि शराबबंदी कानून के तहत गिरफ्तार लोगों के लिए आम माफी का एलान कर सरकार को 25 हजार लोगों की तुरंत रिहाई का रास्ता साफ करना चाहिए. इसे मुख्यमंत्री अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनाएं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 20, 2023 11:44 PM

बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सह राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जब कुछ प्रभावशाली लोगों के गंभीर मामलों में सजायाफ्ता होने के बावजूद उनकी रिहाई के लिए जेल मैन्युअल को शिथिल किया जा सकता है, तब शराबबंदी कानून तोड़ने के सामान्य अपराध से जुड़े 3.61 लाख मुकदमे भी वापस लिये जा सकते हैं.

सरकार को 25 हजार लोगों की तुरंत रिहाई का रास्ता साफ करना चाहिए

सुशील मोदी ने कहा कि शराबबंदी कानून के तहत गिरफ्तार लोगों के लिए आम माफी का एलान कर सरकार को 25 हजार लोगों की तुरंत रिहाई का रास्ता साफ करना चाहिए. इसे मुख्यमंत्री अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनाएं. शराबबंदी कानून के तहत जिन 5 लाख 17 हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया, वे कोई शातिर अपराधी नहीं हैं. उनमें 90 फीसदी लोग दलित-पिछड़े-आदिवासी समुदाय के हैं. ऐसे लगभग 25 हजार लोग अभी भी जेल में हैं.

मुकदमों के बोझ से दबी हैं अदालतें

राज्यसभा सांसद ने कहा कि जेलों में जगह नहीं है और अदालतें पहले ही मुकदमों के बोझ से दबी हैं. गरीब मुकदमे के चक्कर में और गरीब हो रहे हैं. ऐसे में शराबबंदी कानून तोड़ने वालों को आम माफी देने से सबको बड़ी राहत मिलेगी.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार 6 वर्षों में 196 लोगों की मौत

सुशील मोदी ने कहा कि छह वर्षों में जहरीली शराब पीने से मरने की 30 घटनाओं में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 196 लोगों की मौत हुई, लेकिन इस के लिए दोषी एक भी माफिया या शराब तस्कर को सजा नहीं हुई.

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सुशील मोदी ने पूछे ये सवाल

राज्यसभा सांसद ने पूछा कि राज्य सरकार ने शराब से जुड़े मामले तेजी से निपटाने के लिए स्पेशल कोर्ट का गठन क्यों नहीं किया? किसी मामले में स्पीडी ट्रायल क्यों नहीं हुआ? गरीबों को उनके हाल पर क्यों छोड़ दिया गया?

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