रेणु सभापति व उमेश बने उपसभापति

दो सप्ताह के इंतजार के बाद शुक्रवार को नगर परिषद के मुखिया का चयन किया गया. सभापति के लिए रेणु को 40 में से 24 व उपसभापति के लिए उमेश को 35 वोट मिले. दोनों को दूसरी बार नप की जिम्मेवारी मिली है. आशा है कि उनके अनुभव का लाभ शहरवासियों को मिलेगा. सहरसा : […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 10, 2017 10:34 AM
दो सप्ताह के इंतजार के बाद शुक्रवार को नगर परिषद के मुखिया का चयन किया गया. सभापति के लिए रेणु को 40 में से 24 व उपसभापति के लिए उमेश को 35 वोट मिले. दोनों को दूसरी बार नप की जिम्मेवारी मिली है. आशा है कि उनके अनुभव का लाभ शहरवासियों को मिलेगा.
सहरसा : नगर परिषद चुनाव के बाद करीब दो सप्ताह से अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद की कुरसी को लेकर चल रहे राजनीतिक उठा पटक का शुक्रवार को पटाक्षेप हो गया. नगर परिषद अध्यक्ष की कुरसी पर दूसरी बार रेणु सिन्हा की जीत हुई. 40 पार्षदों में से उन्हें कुल 24 पार्षदों का वोट मिला. विपक्षी गुट की सभापति प्रत्याशी आरती सिंह को मात्र 12 वोट मिले. चार वोट निरस्त करार दिये गये.
इसी तरह उपसभापति के चुनाव में उमेश यादव को 40 में से 35 वार्ड पार्षदों का मत मिला. जबकि नप की पूर्व उपसभापति रंजना सिंह के पुत्र वार्ड नंबर 27 के पार्षद गौरव को मात्र पांच मत मिले. रेणु सिन्हा इससे पूर्व 2002 के चुनाव में भी सभापति बनी थीं. उसी साल उमेश यादव भी उपसभापति चुने गए थे. मधेपुरा व सहरसा के डीडीसी चुनाव पर्यवेक्षक के रूप में मौजूद थे. जबकि जिला उप निर्वाचन पदाधिकारी राजीव कुमार के समक्ष अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव की सारी प्रक्रिया संपन्न हुई.
उपाध्यक्ष पद के लिए एकतरफा वोटिंग
अध्यक्ष चुनाव के बाद उपाध्यक्ष पद के लिए तीन उम्मीदवार उमेश यादव, बैजनाथ चौधरी और नगर परिषद की पूर्व उपाध्यक्ष रंजना सिंह के पुत्र गौरव कुमार ने निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष अपनी दावेदारी पेश की. बाद में बैजनाथ चौधरी के नाम वापसी के बाद उमेश यादव व गौरव कुमार उपाध्याय पद के लिए मैदान में डटे रहे.
दोनों के बीच हुई वोटिंग में उमेश यादव के पक्ष में एकतरफा वोटिंग हुई. चालीस पार्षदों में से 35 ने उमेश यादव के पक्ष में वोटिंग कर विपक्ष की राजनीति को एकदम धाराशायी कर दिया. अध्यक्ष की जीत के बाद उसी खेमे से उपाध्यक्ष के उम्मीदवार के वोटिंग में चालीस में पांच को छोड़ सारे पार्षदों का मत उमेश यादव को मिल गया. उपाध्यक्ष पद के इस ऐतिहासिक जीत के बाद सदन में कहीं कोई विपक्ष नजर नहीं आ रहा था. जीत के बाद उप विकास आयुक्त ने अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों को जीत का प्रमाण पत्र सौंप नगर परिषद के विकास के लिये दोनों को शपथ भी दिलाया.

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