करोड़ों रुपये डूब गये, शहर में रोशनी मयस्सर नहीं
करोड़ों रुपये की लागत से नगर में लगाये गये थे स्ट्रीट लाइट शाम होते ही मोहल्ले में छा जाता है अंधेरा सहरसा : रात होते ही नगर क्षेत्र के मुख्य मार्ग सहित शहर का अधिकांश हिस्सा अंधेरे में डूब जाता है. वजह है शहर कि ज्यादातर स्ट्रीट लाइटों का खराब होना. इसके चलते सड़कों पर […]
करोड़ों रुपये की लागत से नगर में लगाये गये थे स्ट्रीट लाइट
शाम होते ही मोहल्ले में छा जाता है अंधेरा
सहरसा : रात होते ही नगर क्षेत्र के मुख्य मार्ग सहित शहर का अधिकांश हिस्सा अंधेरे में डूब जाता है. वजह है शहर कि ज्यादातर स्ट्रीट लाइटों का खराब होना. इसके चलते सड़कों पर पैदल चलने वाले लोगों को हमेशा किसी अनहोनी का डर बना रहता है. पिछले दिनों नगर परिषद क्षेत्र की इन सड़कों को जगमग करने के लिए लगभग ढाई करोड़ रुपये की एलइडी लाइट लगायी गयी थी. जिसमें वित्तीय वर्ष 2015-16 में लगभग एक करोड़ 38 लाख की राशि से एक हजार एलइडी लाइट की खरीद की गयी थी.
इसके बाद वर्ष 2016-17 में एक करोड़ 17 लाख की लागत से सात सौ एलइडी लाइट लगायी गयी थी. लेकिन स्थानीय लोगों को जगमग गलियों व सड़कों का अब भी इंतजार है. अधिकतर पोलों पर लगी लाइटें बंद हैं. शहर के बटराहा मोहल्ले की अधिकांश लाइट खराब हैं. लगभग पूरा मोहल्ला अंधेरे में डूबा रहता है.
मेंटेनेंस की मियाद भी हो रही खत्म: इस समय शहर में लगी अधिकांश स्ट्रीट लाइट खराब हो गयी है. परिणाम यह है कि शाम होते ही पूरा शहर अंधेरे में डूब जाता है. शहरवासी नवनिर्वाचित पार्षदों से स्ट्रीट लाइट लगवाने की मांग करते हैं और पार्षद नगर परिषद अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं. स्ट्रीट लाइट के मेंटेनेंस की अवधि भी समाप्त हो रही है. जबकि कंपनी द्वारा दो वर्ष तक मेंटेनेंस की बात कही गयी थी. पुराने ठेकेदार के पास जब भी कोई पार्षद जाते हैं तो वह कहते हैं कि जब तक नगर परिषद की ओर से लिखित में कोई आदेश नहीं आता, वह स्ट्रीट लाइट ठीक नहीं करेगा. उसका यह कहना वाजिब भी है. नगर परिषद अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है.
शाम होते ही छा रहा अंधेरा, वारदात बढ़ने का अंदेशा: स्ट्रीट लाइटों के न जलने के कारण शहर में शाम होते ही अंधेरा छा जाता है. ऐसे में शहर में आपराधिक घटनाओं के होने का अंदेशा बढ़ने लगा है. लोग खास कर महिलाएं अंधेरा होने के बाद घरों से बाहर नहीं निकल रही है. उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
न मरम्मत हो रही और न ही मिल रही नयी स्ट्रीट लाइट : इस बारे में वार्ड 23 की पार्षद सिद्धि प्रिया का कहना है कि वार्ड की अधिकांश स्ट्रीट लाइट खराब पड़ी है. जब भी नगर परिषद जाते हैं तो पता चलता है कि नया टेंडर नहीं हुआ है. ऐसे में न तो नयी स्ट्रीट लाइट लग रही है और न ही खराब लाइट की मरम्मत हो रही है. इससे लोगों को परेशानी हो रही है.
स्ट्रीट लाइट खराब, अंधेरे में डूबा रहता है शहर
हाइ कोर्ट में दायर है याचिका
नगर परिषद के पूर्व उपसभापति रंजना सिंह के पति व वार्ड 27 के पार्षद गौरव कुमार के पिता संजय कुमार सिंह ने फरवरी महीने में ही अनियमितता के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में याचिका भी दायर की है. संजय सिंह ने बताया कि शहर में छाये अंधेरे को मिटाने के बजाय कुछ लोगों द्वारा लाइट के नाम पर स्वयं का विकास किया गया है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में खरीद की गयी एलइडी लाइट की कीमत 13 हजार आठ सौ रुपये बतायी थी. जिसका बाजार मूल्य 45 सौ रुपये बताया गया है. इसके अलावा वर्ष 17 में खरीद लाइट की कीमत 16 हजार आठ सौ के बजाय 55 सौ रुपये वास्तिवक मूल्य बताया गया है. उन्होंने कहा कि कोर्ट में लाइट योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार व गुणवत्ता जांच कराने की मांग की गयी है.
घबरायें नहीं, दुनिया वही रहेगी