गिरती जा रही शिक्षा व्यवस्था

अनियमितता. सेटिंग के आधार पर विद्यालय हो रहा संचालित डिप्टेशन, ट्रांसफर, पोस्टिंग साबित हो रहा विभाग के लिए कामधेनु सहरसा : जिले के सरकारी विद्यालयों में शिक्षा का स्तर दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है. आये दिन किसी न किसी विद्यालय में छात्र अभिभावकों का हंगामा होता रहा है. इन हंगामे को अधिकारियों द्वारा किसी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 23, 2017 5:39 AM

अनियमितता. सेटिंग के आधार पर विद्यालय हो रहा संचालित

डिप्टेशन, ट्रांसफर, पोस्टिंग साबित हो रहा विभाग के लिए कामधेनु
सहरसा : जिले के सरकारी विद्यालयों में शिक्षा का स्तर दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है. आये दिन किसी न किसी विद्यालय में छात्र अभिभावकों का हंगामा होता रहा है. इन हंगामे को अधिकारियों द्वारा किसी प्रकार तत्काल टाल तो दिया जाता है. लेकिन इससे शिक्षा व्यवस्था चौपट हो रही है. जिले के सुदूर क्षेत्र जहां अधिकारियों का पहुंचना कठिन होता है, वैसे विद्यालय सिर्फ खानापूर्ति के लिए ही खोले जाते हैं. इन विद्यालयों में सिर्फ लूट के ही कारोबार होते हैं. घर बैठे शिक्षकों को वेतन तक का भुगतान किया जाता है. जिले की गिरती शिक्षा व्यवस्था पर जिलाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने थोड़ी कमान जरूर कसी.
लेकिन समय के धूल ने उसे पुन: अपने आगोश में ले लिया है. जिलाधिकारी ने वरीय अधिकारियों की टीम गठित कर क्षेत्रवार विद्यालयों के निरीक्षण की जिम्मेवारी सौंपी थी. जो थोड़ी कारगर दिख रही थी. विद्यालय भवन निर्माण से लेकर छात्रवृति, पोशाक राशि, साइकिल योजना, मध्याह्न भोजन योजना सहित अन्य सभी प्रकार की योजनाओं में लूट मची है. जिसे देखने वाला कोई नहीं है. कागजी खानापूर्ति ही अधिकांश विद्यालयों में चल रही है. अगर इन सभी कारनामों के गहराई में जाया जाय तो इसमें नीचे स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत साफ नजर आती है. बीइओ स्तर के अधिकारियों की चांदी कटती है वे अपने मरजी से कार्य करते हैं. निरीक्षण की कौन कहे इनसे सेटिंग गेटिंग के आधार पर शिक्षक विद्यालय तक नहीं पहुंचते. जबकि प्रत्येक माह उनका वेतन तक दिया जाता है. विद्यालयों में होने वाले प्रत्येक अनियमितता में इनका हाथ अवश्य होता है. जिला प्रशासन अगर सूक्ष्म जांच करे तो शायद जिले में ऐसे सैकड़ों शिक्षक पकड़े जायेंगे. जिन्होंने योगदान के बाद विद्यालय तक का पुन: मुंह नहीं देखा है. ऐसे शिक्षक बीइओ से सांठ-गांठ कर जिले से बाहर अन्य कार्य करते हैं. जिसके एवज में वे अधिकारियों को मासिक तय राशि का भुगतान करते है. डिप्टेशन, ट्रांसफर, पोस्टिंग इनके लिए कामधेनु गाय साबित हो रही है. लेन-देन के आधार पर यह कार्य विभाग में धड़ल्ले से किये जा रहे हैं. ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कल्पना जिले के लिए बेइमानी है.

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