कर्मी नहीं, बाहरी लोग ही चलाते हैं सदर अस्पताल

हर वक्त, हर जगह नजर आते हैं बाहरी लोग, इन्हीं पर टिका है अस्पताल कर्मी की कमी की वजह से बढ़ रहा है बाहरी लोगों का मनोबल मरीजों की जान से होता है खिलवाड़ सहरसा : सदर अस्पताल की व्यवस्था बाहरी लोगों पर निर्भर है. अस्पताल प्रशासन के सामने ये बाहरी लोग अस्पताल व्यवस्था में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 2, 2017 5:23 AM

हर वक्त, हर जगह नजर आते हैं बाहरी लोग, इन्हीं पर टिका है अस्पताल

कर्मी की कमी की वजह से बढ़ रहा है बाहरी लोगों का मनोबल
मरीजों की जान से होता है खिलवाड़
सहरसा : सदर अस्पताल की व्यवस्था बाहरी लोगों पर निर्भर है. अस्पताल प्रशासन के सामने ये बाहरी लोग अस्पताल व्यवस्था में अपना हाथ बंटाते हैं. जबकि उन्हें किसी प्रकार का प्रशिक्षण प्राप्त नहीं होता है. इसके बावजूद वह विशेषज्ञ की तरह सूई देने से लेकर अन्य इलाज में बखूबी सहयोग करते हैं. जिससे लोग अब मानने लगे हैं कि सदर अस्पताल बिना बिचौलिये के नहीं चल सकता है. अस्पताल के अधिकतर वार्ड, हरेक जगह ऐसे बाहरी लोग नजर आ जाते हैं. जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी रूप से अस्पताल से जुड़े नहीं हैं. लेकिन अस्पताल के अधिकांश कामों में इन्हें हाथ बंटाते देखा जा सकता है. जिला प्रशासन यदि सजग हो तो ऐसे दर्जनों लोग गिरफ्त में आ सकते हैं.
बढ़ानी होगी कर्मियों की संख्या
प्रमंडलीय मुख्यालय होने के कारण सहरसा के अलावे मधेपुरा व सुपौल सहित आसपास के जिलों से हजारों की संख्या में मरीज सदर अस्पताल आते हैं. मरीजों की अपेक्षा कर्मियों की संख्या नहीं के बराबर है. इमरजेंसी में प्रत्येक शिफ्ट में तैनात कर्मियों में से एक को बीएचटी सहित रजिस्टर में नाम, पता एवं अन्य जानकारी लिखनी पड़ती है. उसके बाद चिकित्सक द्वारा दी गयी सलाह व दवा को समझाना पड़ता है. ऐसे में उस कर्मी के पास किसी मरीज को सूई तक देने का समय नहीं रहता है. शेष एक या दो कर्मी के जिम्मे दर्जनों मरीज की देखभाल का जिम्मा रहता है. जानकारी के अनुसार, अस्पताल के इमरजेंसी में लगे बेड की अपेक्षा दो से तीन गुणा मरीज भरती होते हैं.
कई बार बन चुकी हैं सुर्खियां
यह कोई नयी बात नहीं है. कई बार बाहरी लोगों का आपातकालीन वार्ड से लेकर प्रसव वार्ड तक में कार्य करते तसवीर सहित खबर अखबारों की सुर्खियां बन चुकी है. ऐसी बात भी नहीं है कि इन मामलों से वरीय अधिकारी अनजान है. जानकारी होने के बाद भी अनजान बने हुए है. जिसका फायदा यह बाहरी लोग बखूबी उठाते हैं. कार्रवाई नहीं होने से इन लोगों का मनोबल बढ़ रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, गंभीर मरीज के अस्पताल में आते ही बाहरी लोग उसके परिजनों के साथ हमदर्दी दिखा कर सदर अस्पताल में कोई व्यवस्था नहीं होने की बात कहते हैं. उसे बेहतर इलाज के लिए अपनी पसंदीदा निजी नर्सिंग होम में झांसा देकर लेकर चले जाते हैं. जबकि सदर अस्पताल में भी अच्छे व अनुभवी चिकित्सक पदस्थापित हैं. हालांकि संसाधन के अभाव में चिकित्सक सर्वोत्तम सेवा नहीं दे पाते हैं.

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