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सृजन घोटाला : संचालिका, बैंक प्रबंधक व सहयोगियों पर मामला दर्ज

सहरसा : भागलपुर के सृजन मामले को लेकर सहरसा में भी रुपया हेराफेरी का मामला सदर थाने में दर्ज कराया गया है. जिला पदाधिकारी के निर्देश पर वरीय कोषागार पदाधिकारी राज कुमार ने सृजन महिला विकास समिति, भागलपुर की संचालिका मनोरमा देवी, बैंक ऑफ बड़ौदा सहरसा के तत्कालीन शाखा प्रबंधक एवं अन्य सहयोगी, बैंक ऑफ […]

सहरसा : भागलपुर के सृजन मामले को लेकर सहरसा में भी रुपया हेराफेरी का मामला सदर थाने में दर्ज कराया गया है. जिला पदाधिकारी के निर्देश पर वरीय कोषागार पदाधिकारी राज कुमार ने सृजन महिला विकास समिति, भागलपुर की संचालिका मनोरमा देवी, बैंक ऑफ बड़ौदा सहरसा के तत्कालीन शाखा प्रबंधक एवं अन्य सहयोगी, बैंक ऑफ बड़ौदा भागलपुर के तत्कालीन शाखा प्रबंधक एवं अन्य सहयोगी, विशेष भू-अर्जन कार्यालय सहरसा के तत्कालीन पदाधिकारी, जिनके हस्ताक्षर से राशि सृजन महिला विकास समिति के खाते में हस्तांतरित की गयी तथा रोकड़पाल एवं प्रधान सहायक को प्रथम दृष्टया दोषी पाते मामला दर्ज कराया है. दिये आवेदन में वरीय कोषागार पदाधिकारी राज कुमार ने कहा कि जिला पदाधिकारी के निर्देश पर 11 अगस्त को डीएम द्वारा गठित टीम द्वारा बैंक ऑफ बड़ौदा, सहरसा में विशेष भू-अर्जन कार्यालय सहरसा, कोसी योजना सहरसा के द्वारा संधारित खातों से निकासी की जांच की गयी.

दो खाता हो रहा था संचालित

जांच के दौरान बैंक ऑफ बड़ौदा सहरसा में विशेष भू-अर्जन पदाधिकारी सहरसा, कोसी योजना सहरसा के पदनाम से दो खाता संधारित पाया गया. खाता संख्या 35880800001324 जो 27 फरवरी, 2012 को खोला गया एवं 16 जुलाई, 2013 को बंद कर दिया गया. दूसरा खाता संख्या 35880200000068 जो 24 सितंबर, 2012 को खोला गया एवं दिनांक 8 अप्रैल, 2017 को बंद कर दिया गया. इस खाते की अंतशेष की राशि दो करोड़ 26 लाख नब्बे हजार पांच सौ रुपये सरकारी खाते में जमा कर दी गयी. इसके अलावा बैंक ऑफ बड़ौदा भागलपुर के शाखा में दिनांक 14 फरवरी, 2012 को एक अन्य खाता संख्या 10010100012835 खोला गया. यह बचत खाता है.

खूब हुआ निकासी व वापसी का खेल

बैंक ऑफ बड़ौदा भागलपुर के शाखा के खाता संख्या 10010100012835 में चेक के द्वारा सृजन महिला विकास समिति के खाते में राशि हस्तांतरित हुई है. जानकारी के अनुसार चेक संख्या 565510, दिनांक 28 मार्च, 2012 से 12 करोड़, चेक संख्या 565503, दिनांक 28 मार्च, 2012 से 12 करोड़, चेक संख्या 565501, दिनांक 24 अप्रैल, 2012 से दस करोड़, चेक संख्या 565505, दिनांक 24 अप्रैल, 2012 से पांच करोड़, चेक संख्या 565502, दिनांक 16 जून, 2012 को 50 करोड़, चेक संख्या 565516, दिनांक 05 सितंबर, 2012 को 10 करोड़, चेक संख्या 565514, दिनांक 16 अप्रैल, 2013 को 10 करोड़ व चेक संख्या 565518, दिनांक 29 जुलाई, 2013 को 53 करोड़ 92 लाख 49 हजार 924 रुपये हस्तांतरित किए गए हैं. इसके बाद 01 फरवरी, 2013 से खाता संख्या 35880200000068 एवं खाता संख्या 10010100012835 में वापस भी की गयी. जानकारी के अनुसार, एक फरवरी, 2013 को तीन करोड़, दो मई, 2013 को एक करोड़, 15 जुलाई, 2013 को चार करोड़, 29 जुलाई, 2013 को अस्सी लाख, 20 मई 2014 को दो करोड़, 20 अप्रैल 2015 को 151 करोड़ 30 लाख 26 हजार 617 रुपये वापस किए गए. कुल 162 करोड़ 10 लाख 26 हजार 617 रुपये वापस हुआ.

फर्जी चेक पर हुआ हस्तांतरण

जांच के क्रम में यह भी तथ्य प्रकाश में आया है कि कार्यालय में बैंक ऑफ बड़ौदा भागलपुर का एक मात्र चेक बुक संधारित है. इसका चेक नंबर 555001 से 555055 है. लेकिन, भागलपुर स्थित यह खाता चेक बुक के अनुसार 26 जून, 2013 को चेक काट कर बंद कर दिया गया है. कार्यालय में उपलब्ध अभिलेख के अनुसार 26 जून, 2013 के पश्चात बैंक ऑफ बड़ौदा भागलपुर का कोई चेक निर्गत नहीं हुआ है. सृजन महिला विकास समिति के खाते में जिन चेकों के माध्यम से राशि का हस्तांतरण हुआ है. उस नंबर का चेक या चेक बुक कार्यालय में संधारित नही है. कार्यालय में संधारित रोकड़ बही के अनुसार एक जुलाई, 2017 को अंतशेष की राशि 221 करोड़ 18 लाख 45 हजार 904 रुपये 53 पैसा है. यह राशि एसबीआई सहरसा के खाता में दो करोड़ 78 लाख 98 हजार 744 रुपये 75 पैसा, एक्सिस बैंक सहरसा में चार करोड़ रुपये, यूबीजीबी बलूआहा शाखा में 640 लाख 17 हजार रुपये, पीडी एकाउंट में 215 करोड़ 39 लाख 88 हजार 485 रुपये हैं. रोकड़ बही के अनुसार सरकारी खाते में भू अर्जन की राशि यथावत है.

आखिर किसके आदेश पर हुआ हस्तांतरण

28 मार्च 2012 से 29 जुलाई, 2013 के अवधि में निकासी की गयी 162 करोड़ की राशि किस आदेश से और किनके हस्ताक्षर से सृजन महिला विकास समिति भागलपुर के खाते में हस्तांतरित हुई, यह जांच का विषय है. इस मामले में सृजन महिला विकास समिति भागलपुर, बैंक ऑफ बड़ौदा सहरसा, बैंक ऑफ बड़ौदा भागलपुर तथा विशेष भू अर्जन कार्यालय सहरसा की क्या भूमिका है. राशि सृजन महिला विकास समिति के खाते में हस्तांतरण से लेकर राशि के वापसी की तिथि तक के सूद तथा बैंकों के द्वारा बचत खातों में दिये गये ब्याज की राशि का क्या हुआ जांच का विषय है.

फर्जी निकला स्टेटमेंट

बैंक ऑफ बड़ौदा सहरसा के खाता संख्या 35880200000068 से संबंधित जो बैंक स्टेटमेंट की विवरणी 24 सितंबर, 2012 से 22 अप्रैल, 2015 तक कार्यालय में पंजी के क्रमांक 35 से 43 तक संधारित है, की जांच जब बैंक जाकर की गयी, तो वह फर्जी निकला. जिससे एक सुनियोजित साजिश के तहत राशि की निकासी या जमा का संकेत मिलता है. इस तथाकथित फर्जी विवरणी में ऐसी कोई इंट्री शामिल नही है जिससे यह पता चले कि सृजन महिला विकास समिति भागलपुर को राशि का भुगतान किया गया अथवा उसके द्वारा राशि वापस की गई. इसके अलावा विशेष भू-अर्जन पदाधिकारी द्वारा प्रभार हस्तांतरण के उपरांत 24 जुलाई, 2013 व 07 अगस्त, 2014 को खाता संचालन के लिए पत्र लिखा गया है. जिसमें बैंक ऑफ बड़ौदा भागलपुर के किसी खाते का जिक्र नही है.

क्या कहते हैं डीएम

इस बाबत डीएम विनोद सिंह गुंजियाल ने बताया कि तत्कालीन भू-अर्जन पदाधिकारी, बैंक ऑफ बड़ौदा के प्रबंधक, भू अर्जन कार्यालय के रोकड़पाल सहित अन्य पर मामला दर्ज कराया गया है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2012-13 में सरकार द्वारा भेजी गई राशि सृजन के खाते में जमा की गई थी. जो मनोरमा देवी के हस्ताक्षर से कई बार स्थानांतरित किया गया था. बैंक द्वारा जारी स्टेटमेंट फर्जी मालूम पड़ रहा है. इसकी जांच भी कराई जा रही है. उन्होंने बताया कि 20 अप्रैल 2015 को सृजन महिला विकास सहयोग समिति द्वारा 151 करोड़ 20 लाख 26 हजार एकमुश्त सहरसा खाते में हस्तांतरित किया. जबकि सरकारी राशि एक बार में इतनी अधिक विशेष कार्य में ही भेजा जाता रहा है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2012-13 में सरकार द्वारा कई बार विभिन्न चेक के माध्यम से राशि भेजी गई है. जो मनोरमा देवी के चेक द्वारा हस्तांतरित किए गए हैं. उन्होंने बताया कि लगभग 80 लाख का हिसाब नहीं मिल रहा है. जल संसाधन विभाग की विशेष टीम द्वारा जांच किया जा रहा है. इस जांच के बाद ही हेराफेरी का पूरा मामला साफ हो सकेगा. उन्होंने कहा कि सरकारी पैसे का उठाव किया गया है, जो आर्थिक अपराध निश्चित तौर पर है. इसकी जांच विशेष भू अर्जन कार्यालय द्वारा किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा जारी स्टेटमेंट पूरी तरह फर्जी है. विशेष भू-अर्जन के तत्कालीन नाजिर को यह अवश्य देखना चाहिए था.

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