अमानवीयता. सोमवार को जेल जाने की चाहत में नाबालिग ने कर दी थी बच्चे की हत्या

गांव वालों ने कहा, बिगड़ैल प्रवृत्ति का है हत्यारोपित नाबालिग सहरसा/सौरबाजार : बीते 28 जनवरी की शाम करीब 10 वर्षीय बालक उरवीन की गला दबा कर थाना क्षेत्र के चिकनी गांव में कर दिये जाने के बाद से उस गांव में मातम पसरा हुआ है. घटना के बाद गांव के लोग आक्रोशित है. घटना से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 31, 2018 5:32 AM

गांव वालों ने कहा, बिगड़ैल प्रवृत्ति का है हत्यारोपित नाबालिग

सहरसा/सौरबाजार : बीते 28 जनवरी की शाम करीब 10 वर्षीय बालक उरवीन की गला दबा कर थाना क्षेत्र के चिकनी गांव में कर दिये जाने के बाद से उस गांव में मातम पसरा हुआ है. घटना के बाद गांव के लोग आक्रोशित है. घटना से आहत ग्रामीणों ने आरोपित के घर पर हमला बोल दिया और सबकुछ तहस-नहस कर दिया गया.उस गांव के ग्रामीण बोकू शर्मा ने बताया कि हत्यारा किशोर बिगड़ैल प्रवृत्ति का है. उसके चाल चलन से उसके परिवार के भी लोग तंग रहा करते थे.
घटना के संबंध में पूछे जाने पर बताया कि रामगुनी शर्मा के ही परिवार अन्य दो बच्चों के साथ गांव में खेल रहा था. उसी समय आरोपित उसे चॉकलेट खिलाने का लालच देकर समीप के ही दुकान पर गया. उसे चॉकलेट देकर शौच की बात कहकर करीब 100 गज की दूरी पर स्थित तालाब के किनारे ले गया. इधर उरवीन के परिजनों ने देर होते देख खोजबीन प्रारंभ की. उसी दौरान उरवीन के साथ खेल रहे साथी भवेश व मुनचुन ने बताया कि उरवीन को अवनीश अपने साथ ले गया है. हमलोगों को डांट फटकार कर वापस घर भेज दिया. मृतक के परिजन ने जब आरोपित किशोर से संपर्क किया, तो उसने बात को टाल दिया.
हत्यारोपित किशोर के पिता ने भी इस बाबत कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी.
उसके बावजूद मृतक के परिजनों ने खोजबीन जारी रखी. दूसरे दिन तालाब में मवेशी को पानी पिलाने गये एक किसान ने उक्त मृतक का पैर देख शोर मचाना शुरू किया. तत्क्षण मृतक के परिजन ने पहुंच कर शव की पहचान की. इसकी सूचना सौर बाजार थाना को दी गयी. त्वरित कार्रवाई करते हुए थानाध्यक्ष मनीष कुमार रजक घटनास्थल पर पहुंच कर आवश्यक कार्रवाई प्रारंभ करते हुए आरोपित को पुलिस अभिरक्षा में लिया. गिरफ्तार अभियुक्त ने अपनी स्वीकारोक्ति बयान में स्पष्ट लहजे में बताया कि मुझे जेल जाने की चाहत थी. इसलिए मैंने उसे करीब आधे घंटे तक गला दबाकर मार डाला.
उसने यह भी कहा कि मुझे अपने मां- बाप व परिवार के लोगों से भी चिढ़ है. बताया जाता है कि आरोपित किसी तरह से साक्षर नहीं है. मनमौजी तरीके से कभी भी कहीं चला जाता था. मृतक के पिता एक किसान के रहमोकरम पर महज दस धुर जमीन में रहकर अन्य राज्य में जाकर मजदूरी करता है. घटना की जानकारी मिलने के बाद वह घर आया हुआ है. मृतक के व आरोपित के घर की दूरी में महज दस मीटर का फासला है. इधर घटना की सूचना पर पहुंचे मृतक बच्चे के नाना चानो शर्मा (कांप गांव) ने रोते-बिलखते हुए बताया कि मेरा नाती महज दस वर्ष का था. शांत स्वभाव का था.
आसपास का माहौल भी है जिम्मेदार
घटना के बाबत मानवाधिकार प्रतिष्ठान के जिलाध्यक्ष डॉ एलएन झा बताते हैं कि प्रत्येक घटना के कई पहलू होते हैं. ऐसे में सिर्फ हत्या व अपराध को प्रचारित करने से समस्या का समाधान नहीं हो सकता है. इस प्रकार की वारदात किसी भी माहौल में घटित हो सकती है. डॉ झा बताते हैं कि घटना के बाद ग्रामीणों द्वारा आरोपित बालक के घर में लूटपाट व हंगामा करने की प्रवृति भी मानवाधिकार का हनन है. ऐसे मामले में बच्चे व उसके अभिभावक से बात कर कांउसेलिंग करने की आवश्यकता है. इस प्रकार की घटना के लिए आसपास का माहौल भी जिम्मेदार होता है.
दिशाहीन मनोरंजन पैदा कर रहा मानसिक विकृति
समाजशास्त्री डॉ गणेश प्रसाद कहते हैं कि पिछले एक दशक में 15 से 18 साल के बच्चों में तंबाकू और अल्कोहल का इस्तेमाल चार गुना बढ़ गया है. मौज-मस्ती और खाने-पीने में सुख तलाशने वाले वर्तमान समाज की संवेदना शून्य होती जा रही है और इसकी व्यापक प्रतिक्रिया हमारे बच्चों पर हो रही है. आज शोर-शराबे वाले मनोरंजन ने अपना व्यापक जाल फैला रखा है. चिंतनविहीन, दिशाहीन मनोरंजन ने बच्चों के अंदर अनेक मानसिक विकृति पैदा कर दी है. टीवी पर देर तक चलने वाले प्रोग्राम ने बच्चों की दिनचर्या पर असर डाला है. आज टीवी सेक्स, रोमांस, हिंसा, बड़बोलापन सब कुछ खुलेआम दिखा रहा है.

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