मायूस हो घर लौटी गीता, मंत्री के निर्देश पर पटना में कराया गया था भर्ती, डॉक्टरों ने इलाज करने से किया इनकार

सहरसा : देश में ‘गीता’ की कसम से ही सच और झूठ का फैसला होना आम बात है. शहर में जीती जागती लड़की गीता की रक्षा की कसमें खाने वाले मददगार भी झूठे निकल गये. अभागी गीता फिर से जिंदगी और मौत के दोराहे पर खड़ी हो गयी है. यह कहानी किताबी न होकर जींवतता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 15, 2018 1:58 PM

सहरसा : देश में ‘गीता’ की कसम से ही सच और झूठ का फैसला होना आम बात है. शहर में जीती जागती लड़की गीता की रक्षा की कसमें खाने वाले मददगार भी झूठे निकल गये. अभागी गीता फिर से जिंदगी और मौत के दोराहे पर खड़ी हो गयी है. यह कहानी किताबी न होकर जींवतता से अपनी पीड़ा बता रही गीता की है. गीता के शरीर में होनेवाली पीड़ा को अपना मान कसम खानेवाले लोग सोशल मीडिया पर चेहरा चमका रहे हैं, तो कोई माता-पिता व भाई बन भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहा है.

गीता सौरबाजार प्रखंड के तीरी गांव के सुखदेव शर्मा की बेटी है. वह बीते छह फरवरी को शरीर में खून रिसने के बाद सदर अस्पताल में भर्ती हुई थी, जहां बेहतर इलाज नहीं होने पर नया बाजार में एक निजी चिकित्सक डॉ आइडी सिंह के अस्पताल में भर्ती हो गयी. यह खबर फैलनी थी कि गीता के हमदर्द बनने वालों की कतार लग गयी. सभी लोग उसे मदद का भरोसा देने लगे. कुछ लोगों ने खून देकर तो डॉक्टर ने मुफ्त में इलाज कर मदद भी की. इस बीच सोशल मीडिया पर शहर के दर्जनों तथाकथित हमदर्द बने और गीता के दर्द को बांटने के लिए पोस्ट होने लगे. इसमें गीता के अकाउंट नंबर को जारी कर मदद की अपील भी कर दी गयी. तो कोई विदेशी मीडिया में चर्चा की बात कर सुर्खियां बटोरने लगा.

बेइज्जत होकर पटना से लौटी गीता

इस बीच, गीता को बेहतर इलाज के लिए पटना भेजने की कवायद हुई. उसे पटना तक पहुंचाने का जिम्मा डॉ आइडी सिंह ने वहन किया. इसके बाद पटना के पीएमसीएच में जो घटना घटी वह राज्य के स्वास्थ्य व्यवस्था को शर्मशार करने के लिए काफी है. बकौल गीता पीएमसीएच में मंत्री मंगल पांडेय के निर्देश पर उसे भर्ती कराया गया था. लेकिन, डॉक्टर ने उपचार करने से मना कर दिया. इसके बाद उनलोगों ने बेइज्जत कर अस्पताल के वार्ड से भगा दिया. उनलोगों के पास पैसे भी नहीं थे कि पटना में कहीं हीमोफिलिया की जांच करा पाते. इस बीच सिर्फ डॉ प्रभात रंजन के पास एक ब्लड टेस्ट हुआ, लेकिन इससे कुछ पता नहीं चल पाया. इसलिए ट्रेन से सहरसा लौट गयी. इसके बाद पुन: निजी क्लीनिक में डॉ आइडी सिंह के यहां भर्ती है. गीता ने बताया कि आश्वासन देने सभी आये लेकिन मदद में किसी ने आर्थिक मदद नहीं की.

पांच सौ रुपये में फोटो खिंचवाने की होड़

गीता बताती है कि नया बाजार में मिलने पहुंचे लोग पांच-पांच सौ रुपये देकर फोटो खिंचा कर चले गये, जबकि इलाज में पैसे की जरूरत है. उसने बताया कि बीमारी होने के बावजूद पीएमसीएच के डॉक्टर ने मानने से इनकार कर दिया. गीता बताती है कि अभी तक उसे कहीं से भी आर्थिक मदद नहीं मिली है. कुछ लोग विभिन्न माध्यम से झूठी बात प्रचारित कर रहे हैं.

क्या है हीमोफिलिया

यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें रक्तस्राव काफी लंबे समय तक होता है और यह एक जन्मजात बीमारी है, जो सामान्य रूप से वंशानुगत होती है. कुछ दुर्लभ मामलों में यह जन्म के बाद भी विकसित हो सकती है. आमतौर पर यह बीमारी 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को प्रभावित करती है. महिलाओं की तुलना में ये पुरुषों को अधिक प्रभावित करती है.

हीमोफिलिया के लक्षण

आसानी से घायल होने की प्रवृत्ति भी इस बीमारी के लक्षण हैं. इसके अलावा नाकस्राव जो आसानी से बंद नहीं होते हैं. दंत प्रक्रियाओं, जैसे रूट कैनाल थेरेपी, दांत निकालना आदि के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव सहित जोड़ों में दर्द या सूजन व पेशाब में रक्त की मात्रा मिलती है. हालांकि, इसके सफल उपचार के कई विकल्प उपलब्ध हैं और यदि इस रोग को उचित रूप से प्रबंधित किया जाये, तो हीमोफिलिया ग्रसित लोग भी, इस स्थिति से प्रभावित हुए बिना भी, काफ़ी हद तक पूर्ण और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं. रिपोर्ट के अनुसार प्रति हजार हीमोफिलिया के मरीज में मात्र एक मरीज ही रक्तस्त्राव से ग्रसित होता है.

Next Article

Exit mobile version