बिहार : बुलंद हौसले ने दिलायी कामयाबी, पिंकी अब धड़ल्ले से पटरी पर दौड़ा रही ट्रेन, जानें
II अभय कुमार मनोज II सहरसा : जब कोई इंसान किसी चीज को करने की ठान ले और उसे पाने के लिए जी तोड़ मेहनत करे, तो उसे जीवन में कामयाबी जरूर हासिल होती है. सहरसा में करीब ढाई साल से पदस्थापित महिला रेल चालक पिंकी को खुद की पहचान दिलाने में सफलता मिली है. […]
II अभय कुमार मनोज II
सहरसा : जब कोई इंसान किसी चीज को करने की ठान ले और उसे पाने के लिए जी तोड़ मेहनत करे, तो उसे जीवन में कामयाबी जरूर हासिल होती है. सहरसा में करीब ढाई साल से पदस्थापित महिला रेल चालक पिंकी को खुद की पहचान दिलाने में सफलता मिली है.
गया जिले के एक साधारण किसान किशोरी चौधरी के घर पैदा हुई पिंकी ने पिता का सहारा बनने की ठानी. पिंकी के पिता आज जब यात्रियों से भरी ट्रेन को ले जाते अपनी बिटिया को देखते हैं तो गर्व से उनका भी सीना चौड़ा हो जाता है. दिसंबर, 2015 में जब पिंकी ने अपनी पहली ज्वाइनिंग सहरसा में एक महिला सह चालक के तौर पर की थी. उस समय भी प्रभात खबर ने पिंकी की खबर को बड़े ही प्रमुखता से प्रकाशित किया था. पिंकी शुरू में असहज भी हुई, लेकिन हौसले ने उसके सपनों में पंख लगा दिये.
आज पिंकी बेहिचक ट्रेन को अपने गंतव्य स्थान तक ले जाती ले आती है. मंगलवार को पिंकी जब जयनगर से सहरसा तक जानकी एक्सप्रेस ट्रेन को लेकर पहुंची, तो जो लोग पहली बार महिला चालक को इंजन पर देख रहे थे. डिजिटल लॉबी क्रू नियंत्रक अशोक कुमार ने कहा कि एक लड़की होकर पिंकी हमेशा जिम्मेदारी से अपना काम करती है. जयनगर को छोड़ कहीं भी महिला चालक के लिए अलग से रनिंग रूम नहीं रहने के कारण चारों ओर ट्रेन परिचालन के लिए भेज पाना मुश्किल हो जाता है.