दुकान में कम, सड़क पर ज्यादा सजती है दुकानें

सहरसा : प्रमंडलीय मुख्यालय में सड़कों का अतिक्रमण करना लोग अपनी शान समझते हैं. मुख्य बाजार हो या मोहल्ले की सड़क, जो जितना अतिक्रमण कर सड़क को संकुचित करते हैं, वे उतना ही अपने आपको प्रभावशाली समझते हैं. शहर में कपड़े का मुख्य बाजार कपड़ापट्टी जाना व वापस आने में कम जद्दोजहद नहीं है. दहलान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 30, 2018 5:52 AM

सहरसा : प्रमंडलीय मुख्यालय में सड़कों का अतिक्रमण करना लोग अपनी शान समझते हैं. मुख्य बाजार हो या मोहल्ले की सड़क, जो जितना अतिक्रमण कर सड़क को संकुचित करते हैं, वे उतना ही अपने आपको प्रभावशाली समझते हैं. शहर में कपड़े का मुख्य बाजार कपड़ापट्टी जाना व वापस आने में कम जद्दोजहद नहीं है. दहलान चौक से जाएं या महावीर चौक होकर कपड़ा पट्टी जाने व आने में कम से कम एक घंटे का समय लगता है. जिस पर न ही जिला प्रशासन का और न ही व्यवसायियों का ही ध्यान जा रहा है. स्थिति यह है कि कोई सड़क पर सामान रख तो कोई नाला के ऊपर सीढ़ी बना कर सड़क को अतिक्रमित कर दिया है.

दुकान के आगे सड़क पर रहता है सामान : बाजार की स्थिति यह है कि छोटी सी कमरे में दुकान व शोरूम खोल दी जाती है. जिसके बाद दुकान में कम सड़क पर ज्यादा सामान ग्राहकों को लुभाने के लिए लगी रहती है. उसके बाद रही सही कसर ग्राहक पूरा कर देते है. खरीदारी के लिए आनेवाले ग्राहक सड़क पर अपनी वाहन खड़ी कर घंटों खरीदारी करते हैं. सड़क के दोनों तरफ बाइक व अन्य वाहन रहने के कारण बीच में संकीर्ण रास्ता होकर पैदल चलना भी लोगों के लिए मुश्किल है. इस दौरान यदि कोई चारपहिया वाहन आ जाये तो फिर तो कपड़ा पट्टी से निकलना भी मुश्किल हो जाता है.
दोनों प्रवेश रास्ते से ही करना होता है जद्दोजहद : कपड़ा पट्टी में प्रवेश करने के दो रास्ते दहलान चौक व स्टेशन रोड होकर जाने पर ही लोगों को जद्दोजहद करना पड़ता है. दहलान चौक पर सड़क पर ही फल वालों का ठेला व गुमटी रहने व स्टेशन रोड होकर प्रवेश करने पर भी कई तरह की दुकान फुटपाथ पर सजी रहती है. ग्राहक जहां अपनी खरीदारी पूरा करने के बाद ही दुकान से निकलते हैं. तब तक वाहनों का लंबा काफिला लग जाता है. विरोध करने पर ग्राहक के साथ दुकानदार भी बहस करने के लिए तैयार रहते है.

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