स्टेशन पर ट्रेन से उतरिये, फिर अॉटो फांदते हुए परिसर से बाहर जाइये

ए ग्रेड स्टेशन में शामिल है सहरसा स्टेशन, नहीं है वाहनों के उचित पार्किंग की व्यवस्था डिवाइडर सटा कर खड़े रिक्शा, अॉटो व अन्य वाहनों से निकलना काफी मुश्किल सहरसा : देश की राजधानी दिल्ली या राज्य की राजधानी पटना से आप भले ही ट्रेन में काफी अच्छी तरीके से सहरसा पहुंच जाएं. लेकिन ट्रेन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 12, 2018 5:53 AM

ए ग्रेड स्टेशन में शामिल है सहरसा स्टेशन, नहीं है वाहनों के उचित पार्किंग की व्यवस्था

डिवाइडर सटा कर खड़े रिक्शा, अॉटो व अन्य वाहनों से निकलना काफी मुश्किल
सहरसा : देश की राजधानी दिल्ली या राज्य की राजधानी पटना से आप भले ही ट्रेन में काफी अच्छी तरीके से सहरसा पहुंच जाएं. लेकिन ट्रेन से उतरने के बाद अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए स्टेशन परिसर से बाहर निकलने में काफी जद्दोजहद का सामना करना पड़ता है. पढ़ने में यह भले ही थोड़ा अटपटा लगा हो, लेकिन वास्तविकता यही है. सहरसा स्टेशन का प्लेटफार्म नंबर एक हो या दो, दोनों तरफ से बाहर निकलने में डिवाइडर सटा कर खड़े रिक्शा, अॉटो व अन्य वाहनों से निकलना काफी मुश्किल का काम है. खासकर जब यात्री के साथ परिवार व सामान हो तो यह परेशानी कई गुणा बढ़ जाती है. ट्रेन आने के समय में स्टेशन परिसर से बाहर निकलना किसी जंग से कम नहीं है. बावजूद रेल प्रशासन चैन की नींद ले रहा है.
सड़क पर ही अॉटो
रेल प्रशासन की लापरवाही के कारण चांदनी चौक होकर स्टेशन परिसर जाने में पहले तो निकास द्वार के समीप जमा पानी व कीचड़ से स्वागत होता है. रही सही कसर अॉटो चालक पूरी कर देते हैं. सड़क के आधे भाग में अॉटो खड़ा रहता है. जिसके कारण अन्य वाहनों को स्टेशन प्रवेश करने में काफी परेशानी होती है. सूत्रों के अनुसार सब कुछ मैनेज है. ऐसी बात नहीं है कि रेल पुलिस को इसकी जानकारी नहीं है. जानकारी होने के बाद भी वह मौन है. जिसके कारण ऑटो चालक मनमर्जी करते हैं.
अधिकारी आएं, तो ड्यूटी
वरीय अधिकारियों के आने के दिन से उनके विदा होने तक इन वाहनों को रोकने के लिए विशेष रूप से पुलिस अधिकारी व जवानों की ड्यूटी लगती है. जो बाइक तक को भी पार्किंग के इर्द गिर्द लगाने से रोकती है. वहीं दूसरे दिन इसे देखने तक की फुर्सत किसी को नहीं होती है. बाइक चालक से लेकर अन्य वाहनों के चालक को जहां इच्छा होती है, वहीं वाहन खड़ी कर देते हैं. लोगों ने आक्रोश व्यक्त करते कहा कि अधिकारियों के आवागमन व प्रस्थान के दिन के अलावे कम से कम जवानों की ही ड्यूटी लगे. ताकि यत्र-तत्र वाहन लगाने वालों पर कार्रवाई की जा सके.
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