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शर्मसार हुई मानवता : एंबुलेंस नहीं मिली तो शव को बाइक से ढोकर कराया पोस्टमार्टम

सहरसा : सरकार भले ही सुविधाओं का लाख दावा कर लें. लेकिन, जिन पर दावा को अमलीजामा पहनाने का जिम्मेवारी है. उन्हें जब तक अपनी जिम्मेदारी का एहसास नहीं होगा, सरकार के दावे खोखले ही साबित होते रहेंगे. अभी मधेुपरा जिले में पति द्वारा पत्नी के शव को गोद में उठाकर पोस्टमार्टम के लिए ले […]

सहरसा : सरकार भले ही सुविधाओं का लाख दावा कर लें. लेकिन, जिन पर दावा को अमलीजामा पहनाने का जिम्मेवारी है. उन्हें जब तक अपनी जिम्मेदारी का एहसास नहीं होगा, सरकार के दावे खोखले ही साबित होते रहेंगे. अभी मधेुपरा जिले में पति द्वारा पत्नी के शव को गोद में उठाकर पोस्टमार्टम के लिए ले जाने का मामला शांत भी नहीं हुआ कि रविवार की सुबह सहरसा में स्वास्थ्य विभाग की ऐसी ही लापरवाही सामने आयी. एक बार फिर मानवता शर्मशार हुई है.

घटना जिले के समिरी बख्तियारपुर प्रखंड के कनरिया ओपी के धनुपरा गांव की है. जहां नहाने के दौरान शनिवार की देर नदी में डूबने से सात वर्षीय बच्चे की मौत हो गई थी. स्वास्थ्य विभाग व पुलिस प्रशासन ने उस शव को पोस्टर्माटम कराने की बात तो कह दी. लेकिन, पोस्टमार्टम के लिए शव को जिला मुख्यालय स्थित पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं की. परिजनों को रविवार की सुबह शव को लेकर 25 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय आना पड़ा. बाइक पर शव को लाते देख लोगों के रोंगटे खड़े हो गये. लोगों ने व्यवस्था पर आक्रोश जताते दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है.

आंखों में आंसू व हाथ में थे शव
जानकारी के अनुसार धनपुरा निवासी लखन सिंह का बच्चा अंशु अपने अन्य साथियों के साथ नहाने नदी गया था. जहां पैर फिसलने से वह नदी के बीच में चला गया और डूबने से उसकी मौत हो गयी. हल्ला होने पर लोगों ने उसे बाहर निकाला. लेकिन तब तक उसने दम तोड़ दिया था. परिजनों ने मामले की सूचना स्थानीय पुलिस को दी. पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर उसे पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेजा. पुलिस द्वारा शव ले जाने के लिए वाहन उपलब्ध नहीं कराने पर परिजन बाइक से शव को लेकर सदर अस्पताल स्थित पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे. वहीं अन्य परिजनों के साथ चौकीदार अविनाश मंडल भी था.

दुर्गम रास्ता तो बस बहाना है
कोसी तटबंध के अंदर स्थित कनरिया ओपी जाने व आने में रास्ता को लेकर कुछ परेशानी है. आवागमन की सुविधा नहीं होने के कारण परेशानी होती है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इस तरह की घटना के बाद पुलिस वाहन की व्यवस्था कर उसे सहरसा नहीं भेज सकती थी. लोगों ने आक्रोश व्यक्त करते कहा कि अपनी गलती छिपाने के लिए दुर्गम रास्ता तो बस बहाना है. लोगों ने कहा कि यदि ओपी से वाहन की सुविधा नहीं थी तो तटबंध के बाहर राजनपुर आने से पूर्व मामले की सूचना वरीय अधिकारी को देकर महिषी पीएचसी या सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडलीय अस्पताल से एंबुलेंस मंगाया जा सकता था. लेकिन लापरवाह प्रशासन ने ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाया और मानवता को शर्मसार करने वाली एक नई कहानी लिख दी.

क्या कहते है अधिकारी
मामले की जानकारी मिली है. कनरिया ओपी प्रभारी से संपर्क नहीं हो पा रहा है. संपर्क होने पर जानकारी लेने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. (सत्यनारायण राय, पुलिस निरीक्षक, सिमरी बख्तियारपुर)

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