राजेश सिंह, पतरघट : आग उगल रही गर्मी से राहत पाने के लिए लोगों द्वारा रुपये खर्च कर बोतलबंद पानी पीने को मजबूर हैं. वहीं विभागीय अधिकारियों की उदासीनता का आलम यह है कि कहीं सड़क किनारे तो कहीं खेतों कहीं दरवाजे पर नलों से पानी गिर कर बर्बाद हो रहा है. देख कर ऐसा लगता है कि विभाग को कोई फर्क नहीं पड़ता है. प्रखंड कार्यालय, ओपी, अस्पताल परिसर सहित बिशनपुर के कई जगहों पर नल का टोंटी टूट जाने के कारण पानी बह रहा है.
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बेकार न बहने दें पानी, बूंद-बूंद को तरसेंगे
राजेश सिंह, पतरघट : आग उगल रही गर्मी से राहत पाने के लिए लोगों द्वारा रुपये खर्च कर बोतलबंद पानी पीने को मजबूर हैं. वहीं विभागीय अधिकारियों की उदासीनता का आलम यह है कि कहीं सड़क किनारे तो कहीं खेतों कहीं दरवाजे पर नलों से पानी गिर कर बर्बाद हो रहा है. देख कर ऐसा […]
स्थानीय लोगों ने बताया कि नलों की टोंटी टूट जाने के कारण पानी बहता रहता है. टोंटी नहीं रहने से लाखों की लागत से लगाया गया जलापूर्ति योजना मजाक बनकर रह गयी है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पीएचडी विभाग के द्वारा ग्रामीण इलाकों में लोगों को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराये जाने के खातिर लगभग 600 नल लोगों के दरवाजे पर लगाये गये.
लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के कारण योजना विफल हो रही है. लोगों ने बताया कि उचित देखभाल एवं समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण पानी में आयरन की मात्रा बढ़ जाती है. उस पर भी जगह-जगह टोंटी टूट जाने के कारण पानी का रिसाव होने से आम लोगों द्वारा डिब्बा बंद पानी का जार खरीदने को मजबूर हैं.
कहीं भी नल को खुला देख न बढ़े आगे: देश में हो रहे जल संकट को रोकने के लिए पानी की जितनी जरूरत हो उतना ही उपयोग करने की अपील की जा रही है. पानी की बर्बादी रोकने के लिए प्रशासन ही नहीं, आम लोगों को भी आगे आना होगा. अगर किसी नल का टोंटी खराब है तो उसे विभाग को बताया जाना चाहिए. घर हो या बाहर पानी को बर्बाद नहीं होने देना चाहिए.
वहीं वर्षा के पानी को भी संरक्षित एवं शुद्ध कर पीने के उपयोग में लाया जाना चाहिए. बिशनपुर निवासी कारी यादव ने बताया कि सड़क किनारे जहां नल लगा है. वहां लोगों को जागरूक करने के लिए पानी की बर्बादी रोकने के लिए पोस्टर चिपकाना चाहिए. ताकि पानी कम से कम बर्बाद हो एवं बाल्टी लगाकर उसे संरक्षित किया जा सके.
कपसिया बस्ती निवासी चिकित्सक डॉ शिवजी सिंह ने बताया कि सबसे पहले हमलोगों को यह ध्यान रखना होगा कि जितना उपयोग हो, उतना ही पानी खर्च करना चाहिए. व्यर्थ पानी को नहीं बहाना चाहिए. छात्र विनीत कुमार ने बताया कि वर्षा के पानी को गढ्ढानुमा बनाकर या बाल्टी में संरक्षित व शुद्ध कर पीने के उपयोग में लाया जा सकता है.
वहीं राह चलते लोगों को भी यह ध्यान रखना होगा कि अगर नल खुला है तो उसे बंद कर दें. समाजसेवी सेवानिवृत्त शिक्षक धीरेंद्र सिंह ने बताया कि लोगों को पानी का महत्व बताना होगा. नदी, तालाब के जल को भी शुद्ध कर पीने के उपयोग में लाया जा सकता है. जिसमें मवेशी नहीं नहाता हो, जिसके लिए विभाग के साथ सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों को भी जागरूक करना होगा. चाहे कितनी भी हड़बड़ी हो नल को खुला नहीं रखना चाहिए.
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