मॉल में व ऑनलाइन बिक रहे सोनवर्षा में बने उपले
अमीत कुमार सिंह, सोनवर्षाराज : इंटरनेट पर सिमटती जा रही दुनिया में कपड़े, खिलौने, किताबें और कई घरेलू उपयोग की चीजों के बाद अब ग्रामीण क्षेत्रों में बहुतायत मात्रा में गोबर से तैयार किया जाने वाला उपला (गोयठा) मॉल से लेकर ऑनलाइन बाजार तक अपनी जगह बना चुका है. विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के अलावा अन्य […]
अमीत कुमार सिंह, सोनवर्षाराज : इंटरनेट पर सिमटती जा रही दुनिया में कपड़े, खिलौने, किताबें और कई घरेलू उपयोग की चीजों के बाद अब ग्रामीण क्षेत्रों में बहुतायत मात्रा में गोबर से तैयार किया जाने वाला उपला (गोयठा) मॉल से लेकर ऑनलाइन बाजार तक अपनी जगह बना चुका है.
विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के अलावा अन्य विधि विधानों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले गोयठे की मांग शहरों में भी बढ़ने से गोयठे की तकदीर अब ऑनलाइन बाजार तक पहुंच चुकी है. सोनवर्षा प्रखंड के दर्जनों गांवों में धीरे-धीरे यह व्यापार का रूप ले रहा है. शहर के व्यापारी गांव में आकर थोक भाव से इन गोयठे की खरीदारी कर रहे हैं. त्योहारों से पहले ये अग्रिम ऑर्डर भी देते हैं.
गांव आकर देते हैं ऑर्डर व अग्रिम
सोनवर्षा प्रखंड के सोनवर्षाराज, मनौरी, देहद, सहसौल, मोहनपुर, ननौती, भवटिया, पामा, गोंदराम सहित अन्य गांवों में गोयठा का महत्व काफी बढ़ गया है. पहले यह सिर्फ अपने घर के चुल्हों के जलावन के रूप में उपयोग किया जाता था.
यदा-कदा आसपास के लोग अपने उपयोग के लिए थोड़ा-बहुत खरीद लेते थे. लेकिन अब यह व्यावसायिक रूप भी ले चुका है. महीने-दो महीने पर पटना से व्यापारी आते हैं और गांव-गांव से उपला खरीद ट्रक से ले जाते हैं. पटना के बड़े व्यापारी के एजेंट गांव व सहरसा में भी हैं. जो समय-समय पर गांव आकर ऑर्डर और अग्रिम भी दे देते हैं.
अलग-अलग गांव की उपला पाथने वाली मसोमात सावित्री देवी, कबूतरी देवी, रीता देवी, दुखनी देवी, मुन्नी देवी, सुगिया देवी, मनोरम देवी, मुनचुन देवी, पविया देवी, रीता देवी, मसोमात सुलोचना देवी व अन्य ने बताया कि शहर से खरीदार के आने के कारण गोयठा पाथने के काम में तेजी आयी है. बाहर के खरीदार को एक साइज और अधिक भूसे वाला गोयठा चाहिए होता है. हालांकि महिलाओं ने बताया कि कीमत बहुत अच्छी नहीं मिल रही है. लेकिन बड़ी राशि एकमुश्त मिल जाने का फायदा हो रहा है.
बड़े शहरों में ऑनलाइन बिक रहा है गोयठा: गाय के गोबर या उपलों का हिंदुओं के धार्मिक अनुष्ठानों के अलावा अन्य विधि विधानों मे महत्वपूर्ण भूमिका होती है.
इसलिए बड़े-बड़े शहरों मॉल में गाय के गोबर से तैयार गोयठा या उपला की बिक्री होने लगी है. मॉल के काउंटर में भी पैक्ड रूप से इन गोयठे को जगह मिल चुकी है. और तो और अब इन गोयठे या उपले की बिक्री ऑनलाइन भी होने लगी है. त्योहारी मौसम में इन उपलों की मांग को देखते हुए विभिन्न कंपनियों द्वारा डिस्काउंट ऑफर भी दिये जाते हैं.
मवेशियों के गोबर को आकर्षक प्लास्टिक में पैक कर विभिन्न कंपनियों के स्टिकर लगा बेचे जा रहे हैं. ऑनलाइन बाजार के विभिन्न वेबसाइटों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में गोयठे की कीमतों में भी खासा अंतर होता है. शहरों के मॉल या वेबसाइट पर गोयठे की दर्जन भर टुकड़े (गोल आकारनुमा) की कीमत 150 से 200 रुपये के करीब होती है. जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में एक ढोल यानी दर्जन भर (डगरे के आकरनुमा) टुकड़े मात्र 80 से 100 रुपये तक में उपलब्ध होता है.