9.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

शिक्षक दिवस : श्रद्धा व सम्मान की जगह उपहार ने बनायी खास जगह

सहरसा : बीते वर्षों में शिक्षक दिवस के आयोजन ने काफी गलत रूप ले लिया था. श्रद्धा व सम्मान के आयोजन में आधुनिकता का प्रवेश हो गया था. शिक्षक दिवस के मौके पर स्कूल व कोचिंग इंस्टीच्यूट में नाचने-गाने, खाने-खिलाने व बच्चों के द्वारा महंगे गिफ्ट देने की परंपरा बन गयी थी. आयोजन में देश […]

सहरसा : बीते वर्षों में शिक्षक दिवस के आयोजन ने काफी गलत रूप ले लिया था. श्रद्धा व सम्मान के आयोजन में आधुनिकता का प्रवेश हो गया था. शिक्षक दिवस के मौके पर स्कूल व कोचिंग इंस्टीच्यूट में नाचने-गाने, खाने-खिलाने व बच्चों के द्वारा महंगे गिफ्ट देने की परंपरा बन गयी थी. आयोजन में देश के प्रथम उपराष्ट्रपति व द्वितीय राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्ण तो बिल्कुल गायब ही हो गये थे.

शिक्षकों के द्वारा केक काटने की परंपरा शुरू हो गयी थी. द्विअर्थी व बलगर गीत बजाने से भी कहीं कोई परहेज नहीं किया जा रहा था. डीजे की धुन पर शिक्षक व छात्र-छात्राएं एक साथ थिरकते नजर आते थे. लेकिन इस बार आयोजन की रूपरेखा बदलने की संभावना दिख रही है. शिक्षक अभिभावकों से संपर्क कर उपहार के लिए बच्चों को पैसे देने से मना कर रहे हैं.
साउथ प्वाइंट व मिनरवा क्लासेज आये सामने : साउथ प्वाईंट स्कूल व मिनरवा क्लासेज ने स्कूल के सभी बच्चों के अभिभावकों को पत्र भेज शिक्षक दिवस के नाम पर बच्चों को किसी तरह का पैसा देने से मना कर दिया है. साउथ प्वाइंट के प्राचार्य राजीव कुमार ने अभिभावकों से कहा है कि पांच सितंबर को शिक्षक दिवस पर सादे समारोह का आयोजन कर स्कूल की ओर से सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं को सम्मानित किया जायेगा.
प्राचार्य ने बच्चों को शिक्षकों के लिए किसी तरह का उपहार नहीं लाने की सख्त हिदायत दी है. उन्होंने इस नाम पर अभिभावकों से भी बच्चों को पैसा नहीं देने की बात कही है. इधर मिनरवा क्लासेज के शिक्षक ने भी कोचिंग इंस्टीच्यूट के बच्चों के अभिभावक को एसएमएस व व्हाट्सएप कर शिक्षक दिवस पर किसी तरह का आयोजन नहीं होने की जानकारी दे दी है. साथ ही बच्चों को किसी तरह का उपहार लाने से मना कर दिया है.
श्रद्धा का है दिन, उपहार का नहीं
शिक्षक दिवस अपने गुरु अथवा शिक्षकों के प्रति श्रद्धा व सम्मान का दिन है. लेकिन बीते कुछ वर्षों में इसके मायने बदल गये हैं. खासकर कोचिंग इंस्टीच्यूट ने शिक्षक दिवस की गरिमा को ठेस पहुंचाया है. जिनके जन्मदिवस पर यह आयोजन होता है, उन्हें ही पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है. इस दिन ऐसे इंस्टीच्यूट में पार्टी होती है. शिक्षक केक काटते हैं. छात्र-छात्राएं मिलकर शिक्षक को भारी भरकम उपहार देते हैं.
उपहारों से इंस्टीच्यूट की पहचान होने लगी है. सहरसा के कई इंस्टीच्यूट में शिक्षक को लेटेस्ट बाइक से लेकर कार तक उपहार में देकर शिक्षक दिवस के महत्व को उपहारों के लेन-देन में तब्दील कर दिया गया है. शिक्षक और छात्र-छात्राओं के बीच जो दूरी होनी चाहिए, वह बिल्कुल सिमट गयी है. इसका सीधा असर श्रद्धा व सम्मान पर पड़ रहा है. अब शिक्षक दिवस पर पहले की तरह कहीं गोष्ठी आयोजित नहीं होती है. किसी कोचिंग इंस्टीच्यूट के शिक्षक या बच्चों को आयोजन का महत्व या इतिहास भी पता नहीं है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें