जय जय शिव शंकर, कांटा लागे ना कंकर…
महिषी : विश्व प्रसिद्ध अति प्राचीन सिद्ध शक्तिपीठ उग्रतारा के धाम व मंडन के गाम में पर्यटन विभाग व जिला प्रशासन के संयुक्त अयोजकत्व में आयोजित त्रिदिवसीय श्रीउग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव का समापन पार्श्व गायिका साधना सरगम की प्रस्तुति के साथ शांतिपूर्ण माहौल में हुआ. बनारस के मशहूर तबला वादक अशोक पांडे व पंडित सुखदेव मिश्र […]
महिषी : विश्व प्रसिद्ध अति प्राचीन सिद्ध शक्तिपीठ उग्रतारा के धाम व मंडन के गाम में पर्यटन विभाग व जिला प्रशासन के संयुक्त अयोजकत्व में आयोजित त्रिदिवसीय श्रीउग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव का समापन पार्श्व गायिका साधना सरगम की प्रस्तुति के साथ शांतिपूर्ण माहौल में हुआ.
बनारस के मशहूर तबला वादक अशोक पांडे व पंडित सुखदेव मिश्र व सहयोगियों के युगल वाद्य यंत्रों के म्यूजिक पर सभी श्रोता मंत्रमुग्ध हो तालियां बजाते रहे.
उद्घोषक हास्य कलाकार रामसेवक ठाकुर ने मौजूद दर्शकों को बताया कि तबला वादक पांडे तबला वादन में अब तक सात बार राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं. गणेश वंदना व ठुमरी गीत लागे रे तोसे नैन के गायन पर तबला, गिटार, बांसुरी व अन्य सहयोगी के वाद्य संगम ने तो मौजूद लोगों को भाव विभोर कर दिया.
टीम के सभी सदस्यों को एसपी राकेश कुमार, एडीएम धीरेंद्र कुमार झा, डीडीसी राकेश कुमार सिंह, सदर एसडीओ शंभुनाथ झा, एसडीपीओ प्रभाकर तिवारी ने मिथिला परंपरा के अनुसार पाग व चादर देकर सम्मानित किया व मोमेंटों भेंट किया. मौके पर मौजूद सभी लोगों ने राग रसोई व ठुमरी शास्त्रीय संगीत गायन व वादन की हृदय से प्रशंसा की.
इसके बाद बॉलीवुड की गायिका महाराष्ट्र में जन्मी साधना सरगम ने ओ मां मेरी बात रखिहो सदा, तूने मुझे बुलाया शेरा वालिये माता के भजन से कार्यक्रम की शुरूआत की. टीम के सह गायक कुंतल बनर्जी ने नीले नीले अंबर पर चांद जब आये, प्यार बरसाये हमको तरसाये, टिप टिप वर्षा पानी के गायन से खूब तालियां बटोरी.
दर्शकों की मांग पर साधना ने पुनः रंगमंच पर आकर लैला हूं लैला, ऐसी मैं लैला हर कोई चाहे मुझसे मिलना अकेला, आंख मारे ओ लड़का आंख मारे की प्रस्तुति देकर युवाओं का मन मोह लिया.
राज सागर ने आखिर मिलती नहीं क्यों मिलती नहीं, मेरे रसके कमर, इक हसीना थी, एक दीवाना था की प्रस्तुति दी. साधना व कुंतल की युगल जोड़ी ने अंगना में बाबा दुआरे पे मां, दिल बहलता है मेरा आपके आ जाने से, जय जय शिव शंकर कांटा लागे ना कंकर का गायन कर कार्यक्रम की इतिश्री की.