आदिवासियों के डर से क्षेत्र में दहशत

सत्तर कटैया : बरहसैर कुम्हरा घाट में लगभग दो सौ की संख्या में पूर्णिया, कटिहार, अररिया, सुपौल, बनमनखी सहित स्थानीय आदिवासियों द्वारा जबरन जमीन पर कब्जा कर झोपड़ी बना लेने का भय क्षेत्रवासियों में फैल गया है. आदिवासियों द्वारा जिला प्रशासन को चुनौती देने के बाद स्थानीय लोगों में डर समा गया है. रातों रात […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:55 PM

सत्तर कटैया : बरहसैर कुम्हरा घाट में लगभग दो सौ की संख्या में पूर्णिया, कटिहार, अररिया, सुपौल, बनमनखी सहित स्थानीय आदिवासियों द्वारा जबरन जमीन पर कब्जा कर झोपड़ी बना लेने का भय क्षेत्रवासियों में फैल गया है.

आदिवासियों द्वारा जिला प्रशासन को चुनौती देने के बाद स्थानीय लोगों में डर समा गया है. रातों रात प्रशासन के सामने भी बेझिझक झोपड़ी बनाने का सिलसिला देख अगल बगल के किसानों को भी जमीन हड़पे जाने का डर सताने लगा है. लगातार दो दिनों तक प्रशासनिक महकमे के लोगों के साथ वार्ता के बाद भी नरमी के बदले और आदिवासियों का आक्रोश तेज होता देख आम लोगों को बड़े टकराव का अंदेशा होने लगा है.

* रातों रात बनीं अवैध झोपड़ियां
पिछले चार-पांच दिनों से बरहसेर की रैयती भूमि पर जबरन कब्जा जमाने वाले आदिवासी दिनोंदिन मुखर होते जा रहे हैं. सोमवार तक खेती योग्य जमीन पर इनके झोपड़ों की संख्या महज सौ के आसपास थी. लेकिन रातों रात इनके झोपड़ियों की संख्या दो सौ के पार हो गई है.

मंगलवार को दिन भर ये बाहर से आये आदिवासी यहां घर बांधने में लगे रहे. पूछने पर यह बताते हैं कि बिहार सरकार की जमीन है, यह सोच कर हम यहां आ गये. अब झोपड़ी बना ली है तो प्रशासन हमें बसने के लिए कहीं और जमीन दें, नहीं तो यहां से हम नहीं जायेंगे. हालांकि कुछ लोग भी बताते हैं कि ये रैयतों की इस जमीन को बिहार सरकार की जमीन समझ कर बसे थे.

सरकारी जमीन इस खेत के बिल्कुल करीब है. लेकिन जब खूंटा गाड़ दिया तो वे यहीं बस जाना चाह रहे हैं. जबकि कुछ लोग बताते हैं कि गांव के ही कुछ लोगों के इशारे पर आदिवासियों को रैयतों की यह जमीन दिखाई गई थी.

* संथाली टोला में बनाया है अड्डा
बरहसैर कुम्हरा घाट के नदी के पश्चिम बगल में सैकड़ों की संख्या में दशकों से बसे आदिवासी संथाली टोला में बाहर से आये आदिवासी का अड्डा बन गया है. बताया जाता है कि संथाली टोला के आदिवासी भी इसी तरह रातों रात बाहर से आकर बस गये थे. लाख प्रयास के बाद नहीं भागे.

स्थानीय लोगों के मुताबिक संथाली टोला में बसे आदिवासियों की शह पर ही दुबारा आदिवासियों का धमक हुआ और वे यहां रैयती जमीन पर धावा दे दिये. इस बार आने वाले आदिवासियों का पहले से संथाली टोले में बसे लोगों से पुराना संबंध है.

* बढ़ रहा आक्रोश
बरहसैर पंचायत में हजारों की संख्या में रह रहे मजदूरों में भी आदिवासियों के पहुंचने से आक्रोश बढ़ रहा है. कई भूमिहीन मजदूरों ने बताया कि उन्हें बसने के लिए जमीन नहीं मिल रही है और दूसरे जिले के आदिवासी यहां आकर जमीन कब्जा कर रहे हैं. पंचायत के मजदूरों ने जिला प्रशासन को सख्ती से कार्यवाही करते हुए जबरन आ धमके परदेशियों को भगाने की अपील की है.

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