सदर थाना से पहुंची पुलिस को थोड़ी सख्ती दिखानी पड़ी, लेकिन तब तक संपत्ति सहित मनोबल की भी क्षति हो चुकी थी. दूसरे दिन चिकित्सकों व कर्मियों ने हड़ताल कर दी. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, लेकिन अगर कुछ नहीं हुआ है तो वह है इन हंगामों के कारण जानने की बावजूद हालातों में सुधार न करना और अगर जल्दी ऐसा न किया गया तो लगातार हंगामों का गवाह बनने को सदर अस्पताल विवश होगा.
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सदर अस्पताल: क्यों बनता है हंगामों का गवाह
सहरसा: कोसी का प्रमंडलीय अस्पताल कहा जाने वाला सदर अस्पताल अक्सर हंगामे का गवाह बनता है. हालांकि कुछ लोग इसे हंगामे की वजह भी कहते हैं. वर्ष 2014 में ही सदर अस्पताल में एक दर्जन से ज्यादा छोटे बड़े हंगामे हो चुके हैं. वर्ष 2015 के जनवरी माह में भी बीते मंगलवार की रात एक […]
सहरसा: कोसी का प्रमंडलीय अस्पताल कहा जाने वाला सदर अस्पताल अक्सर हंगामे का गवाह बनता है. हालांकि कुछ लोग इसे हंगामे की वजह भी कहते हैं. वर्ष 2014 में ही सदर अस्पताल में एक दर्जन से ज्यादा छोटे बड़े हंगामे हो चुके हैं. वर्ष 2015 के जनवरी माह में भी बीते मंगलवार की रात एक मौत के बाद परिजन इतने आक्रोशित हो गये कि लाखों की क्षति सहित लोगों को भी पीट डाला. अस्पताल में तैनात किये गये जवान गायब थे.
डॉक्टरों से लेकर आदेशपाल तक की कमी
सदर अस्पताल में चिकित्सकों से लेकर आदेशपाल तक की कमी है. स्थापना काल में स्वीकृत चिकित्सक व कर्मियों के स्वीकृत पद में 55 वर्ष बीतने के बावजूद वृद्धि नहीं की गयी. जनप्रतिनिधि से लेकर वरीय अधिकारी तक निरीक्षण कर अस्पताल में सुविधा बढ़ोत्तरी की बात करते हैं , लेकिन इनलोगों का ध्यान कभी भी इस कमी की ओर नहीं जाता है. निरीक्षण के समय सभी बड़ी-बड़ी बातें कह लोगों को आशान्वित कर चले जाते हैं, लेकिन उसका कोई नतीजा सामने नहीं आता है. लेकिन मरीज की मौत के बाद हंगामा करने जरूर लोग आते हैं.
जांच घर में नहीं हैं चिकित्सक व लिपिक
सदर अस्पताल स्थित जांच घर में जांच करने वाले चिकित्सक ही नहीं है. ऐसा नहीं है कि यह पद स्वीकृत नहीं है. एक पद स्वीकृत है, जो कार्यरत भी है. लेकिन डॉ यूसी मिश्र डीएलओ के प्रभार में है. वही लिपिक विद्यानंद वर्मा का स्थानांतरण हो गया. प्रयोगशाला प्रावैधिक के दो पद स्वीकृत हैं, एक कार्यरत है. आदेशपाल का एक पद स्वीकृत है, जो कार्यरत है. प्रयोगशाला परिचर के दो पद स्वीकृत हैं, जो कार्यरत है. मेहतरीन का एक पद स्वीकृत है, जो कार्यरत है.
व्यक्ति एक, काम अनेक
सदर अस्पताल की स्थिति ऐसी है कि यहां एक व्यक्ति के जिम्मे कई काम हैं. कार्यरत 11 चिकित्सकों से ही इमरजेंसी, ओपीडी, पोस्टमार्टम, नाइट ड्यूटी शिफ्ट में ली जाती है. इतना ही नहीं इमरजेंसी में तैनात चिकित्सकों को ही पोस्टमार्टम व अनशन में जांच के लिए जाना पड़ता है. वही भंडारपाल पंकज झा से इंज्यूरी, सुरेश यादव आदेशपाल से ड्रेसर, अनिरुद्ध मालाकार कक्ष सेवक से इमरजेंसी दवा भंडार का काम भी लिया जाता है. इसके अलावा भी कई ऐसे कर्मी है, जिनसे अन्य कार्य करवाये जा रहे है.
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