रेलवे प्रशासन को थी सारी जानकारी : दिनेश
सहरसा: धमारा घाट के हालात से रेलवे प्रशासन पूरी तरह वाकिफ था. रेलवे प्रशासन को यह जानकारी थी कि यह मंदिर पूरी तरह से रेलवे यार्ड व ट्रैक से जुड़ा होने के कारण यात्रियों के आवागमन की बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए ऊपरी पुल का निर्माण किया जाना नितांत आवश्यक है. सभी लाइन पर […]
सहरसा: धमारा घाट के हालात से रेलवे प्रशासन पूरी तरह वाकिफ था. रेलवे प्रशासन को यह जानकारी थी कि यह मंदिर पूरी तरह से रेलवे यार्ड व ट्रैक से जुड़ा होने के कारण यात्रियों के आवागमन की बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए ऊपरी पुल का निर्माण किया जाना नितांत आवश्यक है.
सभी लाइन पर प्लेटफॉर्म एवं रेलवे यार्ड में मंदिर तक जाने का रास्ता होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं था. शनिवार को खगडि़या के सांसद सह सदस्य, रेल परामर्शदात्री समिति दिनेश चंद्र यादव ने लोकसभा के महासचिव को पत्र लिख कर विशेषाधिकार हनन के तहत यह मामला उठाने की अनुमति मांगी. उन्होंने कहा कि जब संसद का सत्र चल रहा था, उस समय रेल राज्य मंत्री अधीर रंजन चौधरी ने बिहार के खगडि़या जिले में धमारा घाट स्टेशन पर राज्यरानी एक्सप्रेस के दुखद दुर्घटना में 37 तीर्थयात्रियों की मौत के बाद स्थल का दौरा किया और खगडि़या व पटना में बयान दिया कि यदि प्रशासन पहले से रेल विभाग को सूचित कर देता कि इतनी बड़ी संख्या में तीर्थयात्री मंदिर में पूजा करने जायेंगे तो रेल प्रशासन अवश्य ही कोई व्यवस्था करता. सांसद ने कहा कि इस महीने लगातार तीर्थयात्रियों का आवागमन इसी प्रकार होता रहा है. दुर्घटना स्थल पर रेलवे द्वारा एक चेतावनी संकेत हुआ करता था, लेकिन अब ऐसी व्यवस्था रेल प्रशासन द्वारा नहीं की गयी है. मेरा संसदीय क्षेत्र खगडि़या है, इसलिए मैं इस क्षेत्र की स्थानीय परिस्थितियों से भली भांति अवगत हूं. हैरानी की बात है कि दो यात्री गाडि़यां पहले से स्टेशन पर खड़ी थी और यात्री मंदिर जाने के लिए गाडि़यों से उतर रहे थे. सांसद ने कहा कि मंत्री जी ने यह भी बयान दिया कि जबकि केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत भारी धनराशि प्रदान की जाती है. इस तथ्य के बावजूद भी सड़क निर्माण नहीं करवाया गया और इस दुर्घटना की जिम्मेवारी राज्य सरकार पर मढ़ दी गयी. सांसद श्री यादव ने कहा कि यह विशेषाधिकार हनन का मामला बनता है. इसलिए सदन में इसे उठाने की अनुमति दी जाये.