फिर से बस रहे केदली को बचाने में भी कोताही!
नवहट्टा: साल 1962 में कोसी नदी को पूर्वी व पश्चिमी तटबंध के बीच कैद करने के बाद अंदर बसे गांवों का उजड़ना व नए जगहों पर बसना लगा रहता है. केदली पंचायत का असय, केदली, रामपुर, छतवन, बगहाखाल, धोबियाही, पहाड़पुर उन गांवों में शामिल है, जो लगभग प्रत्येक साल कोसी नदी में पानी बढ़ने से […]
नवहट्टा: साल 1962 में कोसी नदी को पूर्वी व पश्चिमी तटबंध के बीच कैद करने के बाद अंदर बसे गांवों का उजड़ना व नए जगहों पर बसना लगा रहता है. केदली पंचायत का असय, केदली, रामपुर, छतवन, बगहाखाल, धोबियाही, पहाड़पुर उन गांवों में शामिल है, जो लगभग प्रत्येक साल कोसी नदी में पानी बढ़ने से निर्वासित होता रहा है. वहां के लोग तटबंध, स्पर या सगे-संबंधियों के यहां शरण लेते रहे हैं. कोसी की उग्र धारा के शांत होते ही यहां के ग्रामीण फिर से अपने गांवों की तलाश में निकल पड़ते हैं. गांवों की दिशा में ही मिलने वाली ऊंची चहटी पर अपनी दुनिया बसा लेते हैं.
चूंकि कोसी तटबंध के बीच एक बड़ी आबादी बसती है. लिहाजा सरकार भी इन्हें फिर से बसने में इनकी मदद करती रही है, लेकिन इस बार विभाग की लापरवाही सर चढ़ कर बोल रही है. अब तक नौ बार जगह बदल चुके केदली पंचायत के इन गांवों को बसाने में कोताही बरती जा रही है.
तीन की जगह डेढ़ मीटर की पाइलिंग : बीते साल अगस्त महीने में केदली सहित छतवन, धोबियाही, रामपुर व बगहाखाल का अस्तित्व पूरी तरह समाप्त हो गया था. कोसी की लीला के शांत होते ही गांव मूल स्थान से पश्चिम की ओर खिसक कर नये चहटी पर जा बसा. अब जल संसाधन विभाग की ओर से विलेज प्रोटेक्शन का काम चल रहा है. नियमानुसार बसे गांवों को नदी की जद से बचाने के लिए तीन मीटर की बंबो पाइलिंग के बाद एनसी क्रेटिंग व जीओ बैग देकर पीचिंग करनी थी, लेकिन विभागीय कोताही का आलम यह है कि तीन की जगह आधे यानी डेढ़ मीटर की ही पाइलिंग की जा रही है. ऐसे में नये स्थान पर बसे गांवों को अधिक समय तक बचा पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होगा. क्योंकि कोसी का स्वभाव रहा है कि वह जमीन को ऊपर से कम व अंदर से अधिक काटती है. ऐसे में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि विलेज प्रोटेक्शन के नाम पर बस खानापूर्ति हो रही है. विलेज प्रोटेक्शन कार्य की शुरुआत देख कर हर बार निर्वासित होने वाले ग्रामीणों के चेहरे पर बनी खुशी की लकीर पाइलिंग की गहराई देखकर शीघ्र ही काफूर हो गयी. केदली पंचायत की मुखिया जानकी कुमारी कहती हैं कि बचाव के नाम पर विभाग लाखों की राशि का वारा-न्यारा कर रही है. वह विभाग के करतूत की शिकायत मुख्यमंत्री से करेंगी.