कोसी बना सुरक्षित गर्भपात केंद्र
सहरसा: सहरसा सहित कमोवेश पूरे कोसी अंचल में एमआरटीपी एक्ट 1971 एवं पीएनडीटी एक्ट 1994 की कुछ नामी गिरामी सजर्न सहित झोला छाप डॉक्टरों द्वारा धज्जियां उड़ायी जा रही है. इन एक्टों के अनुसार आपातकालीन स्थिति में गर्भपात को तब वैध माना जा सकता है, जब ऑपरेशन आपातकाल स्थिति में करना पड़े. पहचान एवं फोटो […]
सहरसा: सहरसा सहित कमोवेश पूरे कोसी अंचल में एमआरटीपी एक्ट 1971 एवं पीएनडीटी एक्ट 1994 की कुछ नामी गिरामी सजर्न सहित झोला छाप डॉक्टरों द्वारा धज्जियां उड़ायी जा रही है. इन एक्टों के अनुसार आपातकालीन स्थिति में गर्भपात को तब वैध माना जा सकता है, जब ऑपरेशन आपातकाल स्थिति में करना पड़े. पहचान एवं फोटो युक्त शपथ पत्र के साथ न्यायिक प्रक्रिया के तहत की विशेष परिस्थितियों में भारतीय कानून इसकी इजाजत देता है. अन्यथा इसमें कठोर कानून और सजा का प्रावधान है.
विदेशियों से चमका धंधा
नेपाल के कठोर गर्भपात कानून की जद से बाहर आकर मनमानी तरीके से सुरक्षित गर्भपात कराने वालों की संख्या में कई गुणा इजाफा हो गया है. कंपाउंडर सुरेश की माने तो चिह्नित डॉक्टरों के यहां इसकी संख्या सैकड़ों में है. नेपाल के रेसटेक्टिव एवारसर लॉ 2002 के अनुसार 12 सप्ताह से ज्यादा के भ्रूणों का गर्भपात निषिद्ध है. नेपाल के चिह्नित 537 केंद्रों पर ही गर्भपात कराने की इजाजत है. उसमें भी कड़े कानूनों को ध्यान में रखते हुए. नेम बहादुर का कहना है कि यहां डॉक्टरों में भय है. साथ ही इसकी ट्रेनिंग दी जाती है. क्योंकि डॉक्टरों को भी सजा होती है. साथ ही भारत में जाकर गर्भपात कराने के पीछे सबसे बड़ी वजह यहां पर आने वाला खर्च है. औसतन एक मरीज पर दस हजार के आसपास खर्च बैठता है, जबकि भारत में 35 सौ एवं पांच हजार के बीच मामला समाप्त हो जाता है. डॉक्टरों के रजिस्टर पर एक भी गर्भपात के केस नहीं है.