जूनियर छात्रों को क्लास से खींच कर बेरहमी से पीटा

मनमानी. पॉलीटेक्निक प्रथम वर्ष के छात्रों के साथ सीिनयर ने की रैिगंग सहरसा सदर : जिले की राजकीय पालीटेक्निक में रैगिंग का मामला सामने आया है. सीनियर छात्रों का कहा नहीं मानने पर पालीटेक्निक के तृतीय वर्ष के छात्रों ने प्रथम वर्ष के छात्रों को कक्षा से बाहर खींच कर पीटा. कॉलेज प्रशासन की मौजूदगी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 16, 2015 8:41 AM

मनमानी. पॉलीटेक्निक प्रथम वर्ष के छात्रों के साथ सीिनयर ने की रैिगंग

सहरसा सदर : जिले की राजकीय पालीटेक्निक में रैगिंग का मामला सामने आया है. सीनियर छात्रों का कहा नहीं मानने पर पालीटेक्निक के तृतीय वर्ष के छात्रों ने प्रथम वर्ष के छात्रों को कक्षा से बाहर खींच कर पीटा. कॉलेज प्रशासन की मौजूदगी में मारपीट होती रही और कॉलेज प्रशासन देखता रहा.

फर्स्ट इयर के छात्र इधर-उधर भागते रहे. लेकिन मामला सुलझाने या सीनियर छात्रों को मारपीट करने से रोकने की जहमत किसी ने नहीं की. विवाद गंभीर होते देख पुलिस को सूचित करना पड़ा. सदर थाने से तत्काल ही भेजे गये दो जवानों ने हस्तक्षेप कर मामला शांत कराया.

दर्जनों छात्र हुए जख्मी : सीनियर छात्रों की पिटाई से प्रथम वर्ष के चंद्रभूषण शर्मा, बंटी कुमार, संदीप कुमार, विलास कुमार, पुनीत कुमार, वकील कुमार, रूपेश कुमार, राहुल कुमार, रवींद्र कुमार सहित दर्जनों छात्र जख्मी हो गये. जूनियर छात्रों ने बताया कि उनके सीनियर पिछले कई दिनों से उन्हें परेशान कर रहे थे. सीनियर छात्रों का कहना नहीं मानने पर अंजाम भुगतने की धमकी दी जा रही थी. सोमवार को भी कॉलेज प्रशासन की मौजूदगी में सीनियर ने जूनियर छात्रों के साथ अभद्रता दिखाते हुए उनकी बात मानने की चेतावनी दी थी.

मंगलवार को सभी 11.30 बजे भौतिकी प्राध्यापक श्याम कुमार साफी की कक्षा में थे. उसी समय सीनियर क्लास रूम में घुस शिक्षक सहित छात्रों को बाहर निकाल कर उन्हें पीटना शुरू कर दिया. सीनियर छात्रों की पिटाई के शिकार बने चंद्रभूषण शर्मा व विलास कुमार ने बताया कि डर से वे बाथरूम में जाकर छिप गये. वहां से भी बाहर खींच कर उन्हें पीटा गया.

पिछले आठ दिनों से विवाद चल रहा है. प्राचार्य के समक्ष भी मारपीट हो चुकी है. मामले को गंभीर होता देख प्राचार्य मंगलवार को प्रभार देकर बाहर चले गये.

आरएन सिंह, प्रभारी प्राचार्य

इस तरह की घटना मेरे संज्ञान में कभी नहीं आयी है. यदि मुझे मालूम होता, तो मामले को तूल पकड़ने से पूर्व ही सुलझा लिया जाता.

आनंद मोहन खां, प्राचार्य, राजकीय पालिटेक्निक, सहरसा

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