सौभाग्यशालिनी ही बनती हैं मां

* गायत्री शक्ति पीठ में मदर्स डे पर परिचर्चा आयोजितसहरसा : रविवार को स्थानीय गायत्री शक्ति पीठ में मदर्स डे पर युवा विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस मौके पर मधेपुरा में एसपी रहे अमृत राज व सहरसाके एसपी रही केएस अनुपम ने पहुंच रूद्राभिषेक में भाग लिया. मालूम हो कि अमृत राज संप्रति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:36 PM

* गायत्री शक्ति पीठ में मदर्स डे पर परिचर्चा आयोजित
सहरसा : रविवार को स्थानीय गायत्री शक्ति पीठ में मदर्स डे पर युवा विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस मौके पर मधेपुरा में एसपी रहे अमृत राज व सहरसा
के एसपी रही केएस अनुपम ने पहुंच रूद्राभिषेक में भाग लिया. मालूम हो कि अमृत राज संप्रति मुजफ्फरपुर के डीआइजी एवं उनकी धर्मपत्नी केएस अनुपम रेल डीआइजी के रूप में पटना में पदस्थापित हैं. दोनों अधिकारी दंपति ने रविवार को मदर्स डे पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हो अपने विचार प्रकट किये.

* मां शब्द एक सुखद एहसास
शुरू हुए विचार गोष्ठी में मदर्स डे पर परिचर्चा करते शक्ति पीठ के मुख्य ट्रस्टी व जोनल समन्वयक अरुण कुमार जायसवाल ने कहा कि मां शब्द संसार की सबसे अनुभूति सुखद है. उन्होंने कहा कि मां बनना व मातृत्व का एहसास होना एक दैविक घटना है. सौभाग्यशालिनी ही मां बनती है. उन्होंने कहा कि वैसे तो मई महीना माता मरियम के स्तुति गान के रूप में मनाया जाता है. इसलिए मई महीने का दूसरा रविवार खास महत्व रखता है. जिसे हम मदर्स डे के रूप में मनाते हैं.

श्री जायसवाल ने कहा कि मां शब्द एक सुखद एहसास है. मां किसी शब्दकोष से लिया गया शब्द नहीं है. बल्कि यह जीवन कोष से लिया गया एहसास है. उन्होंने कहा कि अग्नि शब्द बोलने मात्र से अग्नि का एहसास नहीं हो सकता है. जल शब्द बोलने मात्र से जल की तृप्ति नहीं मिल सकती. उसी तरह मां शब्द सिर्फ बोलने मात्र से ही मां का महत्व समझ में नहीं आ सकता है.

मां शब्द की महत्ता पर प्रकाश डालते उन्होंने कहा कि मां वह होती है जो वेदना को संवेदना बनाती है. मां बच्चे की प्रथम पाठशाला होती है. और उसके सर्वोत्तम ट्रेनिंग का वही एक शुरुआती विकल्प के रूप में बच्चे को परिपक्व बनाती है.

* सुखद एहसास होती है मां
इस मौके पर मौजूद मुजफ्फरपुर के डीआइजी अमृत राज ने कहा कि मां शब्द जिंदगी का वह तोहफा है. जिसे आप रोने से एहसास नहीं कर सकते. मां अपने बच्चे को देखने के लिये हमेशा व्याकुल रहती है. लेकिन आज कई एसी मां है जो गर्भ में ही अपने बच्चे को मार देती है. उन्होंने कहा कि परोपकार की भावना हमारे अंदर कमजोर होती है. वही लेने की भावना सभी के अंदर अत्यधिक प्रबल हो गयी है. उन्होंने कहा कि समाज में आज जो कुछ भी कुरीतियां आयी है.

उसका मुख्य कारण अशिक्षा है. उन्होंने कहा कि पहले गुरु शिष्य की परंपरा थी. लेकिन आज के वर्तमान दौर में शिक्षा प्रणाली में अत्यधिक गिरावट देखी जा रही है. जिसके कारण लोगों के अंदर अच्छे विचार प्रकट नहीं हो पाते है. उन्होंने कहा कि युवाओं को अपने आप पर संयम व नियंत्रण रखना चाहिए. तभी अच्छे विचारों का सृजन उनके अंदर हो सकेगा. उन्होंने कहा कि मनुष्य जो कुछ भी अपने जीवन में होता है. वह पहली देन मां की ही होती है.

* सफलता के लिए अपनाएं सदगुण
उनकी दंपति रेल डीआइजी केएस अनुपम ने गायत्री परिवार के कार्यो की सराहना करते कहा कि गायत्री परिवार जिंदगी को अच्छे से जीने की राह दिखाती है. उन्होंने कहा कि जिंदगी में कई ऐसे चीज हैं जो बाजार से नहीं खरीदा जा सकता, उसे अंतरात्मा से खोजने पर ही प्राप्त किया जा सकता है. कुछ अच्छा पाने के लिये मनुष्य को जीवन में कठिन राह पर चलना होता है साथ ही सदगुणों को अपनाना पड़ता है.

इस मौके पर मदर्स डे के प्रासंगिकता पर आधारित देव कन्याओं द्वारा प्रज्ञा गीत मां मत रहो उदास, उदासी दूर भगायेंगे सहित कई अन्य गीतों की प्रस्तुति की गई. गीत-संगीत के माध्यम से मां के महत्व और उसकी प्रासंगिकता को रेखांकित किया गया.

इस मौके पर डीआइजी दंपति को शक्तिपीठ द्वारा केदारनाथ टेकरीवाल, रामचंद्र सिंह द्वारा उपहार प्रदान किया गया. संगोष्ठी में विनोद कुमार चौधरी, प्रमोद कुमार चौधरी, अनिल साह, नवल सिंह, ललन कुमार सिंह, हरे कृष्ण साह, सुनीता चौधरी, मनीषा पूजा व अन्य देव कन्याएं मौजूद थे.

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