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महिलाओं की उच्च शक्षिा पर नहीं है नजर

महिलाओं की उच्च शिक्षा पर नहीं है नजर कोसी कमिश्नरी के एकमात्र अंगीभूत महिला कॉलेज में एमए की नहीं होती है पढ़ाई प्रमंडलीय मुख्यालय के बावजूद मेडिकल व इंजीनियरिंग कॉलेज की व्यवस्था नहीं प्रतिनिधि, सहरसा सदर महिला शिक्षा को लेकर यूं तो केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार, बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत […]

महिलाओं की उच्च शिक्षा पर नहीं है नजर कोसी कमिश्नरी के एकमात्र अंगीभूत महिला कॉलेज में एमए की नहीं होती है पढ़ाई प्रमंडलीय मुख्यालय के बावजूद मेडिकल व इंजीनियरिंग कॉलेज की व्यवस्था नहीं प्रतिनिधि, सहरसा सदर महिला शिक्षा को लेकर यूं तो केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार, बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत पर महिला शिक्षा की सुविधा की बात आज भी नदारद है. इस बाबत जिले की महिलाओं ने आधी आबादी को नजरअंदाज कर महिलाओं की उच्च शिक्षा में हो रही परेशानियों को बयां किया है. युवा महिला वोटर जो शिक्षा में हो रही परेशानियों को लेकर अपने अगले जनप्रतिनिधि से महिलाओं की उच्च शिक्षा को दूर करने के लिए उनका ध्यान आकृष्ट करने की बात कही है. कोसी क्षेत्र की मात्र एक अंगीभूत महिला कॉलेज में अध्ययनरत छात्राओं ने उच्च शिक्षा को लेकर कई परेशानियों का जिक्र किया है. रमेश झा महिला कॉलेज की बीसीए की छात्रा खुशबु कुमारी का कहना है कि मात्र एक अंगीभूत महिला कॉलेज होने के बावजूद इस महाविद्यालय में लड़कियों के लिए एमए की पढ़ाई की व्यवस्था नहीं है. इसके लिए वे अपने अगले होने वाले जनप्रतिनिधि का ध्यान आकृष्ट कर इसके समस्या के निदान की मांग की है. आयुषी सिंह का कहना है कि मैट्रिक, ग्रैजुएशन के बाद यहां की छात्रा अपने आगे की पढ़ाई को पूरा नहीं कर पाती है. छात्रा नेहा सिंह ने भी कोसी मुख्यालय में शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे गुणात्मक विकास के बावजूद यहां मेडिकल व इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना नहीं किये जाने पर क्षोभ जताया. उसने होने वाले विधायक से महिलाओं की उच्च शिक्षा पर ध्यान देने की बात कही. कुमारी शिखा व पुष्पम कुमारी ने भी मेडिकल, इंजीनियरिंग कॉलेज के साथ-साथ एमए व पीएचडी जैसी पढ़ाई की व्यवस्था छात्राओं के लिए अलग से नहीं होने पर चिंता प्रकट की. उन्होंने कहा कि छात्राओं की उच्च शिक्षा को लेकर बिना रास्ता बनाये समाज का सर्वांगीण विकास व महिला सशक्तिकरण को मजबूत नहीं बनाया जा सकता है. इस ओर ध्यान देने वाले जनप्रतिनिधियों को ही आधी आबादी व युवा महिला मतदाताओं का रूझान इस बार रहेगा. छात्रा सुरूची कुमारी व मणिप्रिया कहती है कि व्यवहारिक विषयों के साथ-साथ यहां रोजगारपरक शिक्षा की भी व्यवस्था के लिए हमारे जनप्रतिनिधियों को सोचना चाहिए. ताकि घर की बोझ समझी जाने वाली बेटियां रोजगारपरक शिक्षा लेकर खुद के पैरों पर खड़ी हो सके. दर्शना भारती व निभा कुमारी का कहना है कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में यदि हमारे जनप्रतिनिधि सच्चे दिल से हितैषी हैं तो उन्हें अपने घर की बेटियों के लिए अपने यहां उच्च शिक्षा की व्यवस्था करवानी चाहिए. ताकि साधन संपन्न घरों के बेटियों के साथ-साथ गरीब घर की बेटी भी अपने घर में रहकर उच्च शिक्षा हासिल कर सके. इसके लिए उन्हें बाहर जाने की दरकार नहीं हो. वहीं सपना कुमारी ने भी बदलते परिवेश में महिला परिवर्तन व सशक्तिकरण पर जोर देते कहा कि अब आधी आबादी भी अपना हक व अधिकार को समझती है. इसलिए उनका वोट अब वैसे ही व्यक्ति को मिलेगा जो उनके हक, अधिकार व शिक्षा के क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन लाने की क्षमता रखेंगे. फोटो- खुश्बु 9फोटो- आयुषी 10फोटो- नेहा 11फोटो- शिखा 12फोटो- पुष्पम 13फोटो- सुरूचि 14फोटो- मणि प्रिया 15फोटो- दर्शना 16फोटो- निभा 17

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