असामाजिक तत्वों का अड्डा बना राजकीय पॉलिटेक्निक मैदान उपेक्षाओं के कारण अपनी बदहाली पर बहा रहा आंसू करोड़ों की जमीन अतिक्रमण तक शिकारआये दिन होती रहती है कोई न कोई घटना प्रतिनिधि, सहरसा शहर प्रमंडल का गौरव कहे जाने वाले एकमात्र राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज सहरसा उपेक्षाओं के कारण अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. पॉलिटेक्निक के करोड़ों की जमीन अतिक्रमण तक का शिकार बन गयी है तो पॉलिटेक्निक कॉलेज का एक बड़ा भू-भाग, जो खेल ग्राउंड है, अतिक्रमण के साथ ही असामाजिक तत्वों का अड्डा बना हुआ है. जहां आये दिन कोई न कोई घटना होती रहती है. लेकिन इन असामाजिक तत्वों पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं होने से इनके हौंसले बुलंद हैं. असामाजिक तत्वों का तांडव देख यहां पुलिस छावनी तो वर्षों पूर्व बनायी गयी, लेकिन इस छावनी के बनने के बाद भी घटनाएं कम नहीं हुई. छिनतई से लेकर हत्या तथा हत्या के प्रयास आदि की दर्जनों घटनाएं घट चुकी है. लेकिन खानापूर्ति के सिवा कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई. जिस कारण पॉलिटेक्निक का यह मैदान आज भी असामाजिक तत्वों का अड्डा बना है. स्थानीय लोग शाम ढ़लने से पूर्व ही इस फील्ड होकर गुजरने से परहेज करने लगते हैं. उन्हें भय होता है कि कोई अप्रिय घटना न हो जाये. जबकि एक बड़ी आबादी इस मैदान के ईद-गिर्द बसी हुई है. इनका रास्ता भी इसी मैदान से होकर जाता है. स्थानीय लोगों की मानें तो सुबह से लेकर रात्रि तक असामाजिक तत्व यहां बैठे रहते हैं. लेकिन किसी की हिम्मत नहीं होती, इन्हें कुछ कहने की. ऐसे में इनका मनोबल बढ़ता ही जा रहा है. लोगों का कहना है कि अगर इस सरकारी मैदान की घेराबंदी कर दी जाय तो अतिक्रमण के साथ-साथ ऐसे असामाजिक तत्वों से भी राहत मिलेगी. मालूम हो कि पॉलिटेक्निक खेल मैदान से बड़ा खेल मैदान शहर के किसी भी महाविद्यालय को नहीं है. अगर इसे सुसज्जित कर दिया जाय तो एक बड़ा खेल मैदान शहर को उपलब्ध होगा. साथ ही खिलाडि़यों को भी आगे बढ़ने के लिए तैयारी का अवसर उपलब्ध होगा. फोटो- मैदान 3 – अवैध कब्जा सहित असमाजिक तत्वों का रहता है जमावड़ा.
असामाजिक तत्वों का अड्डा बना राजकीय पॉलिटेक्निक मैदान
असामाजिक तत्वों का अड्डा बना राजकीय पॉलिटेक्निक मैदान उपेक्षाओं के कारण अपनी बदहाली पर बहा रहा आंसू करोड़ों की जमीन अतिक्रमण तक शिकारआये दिन होती रहती है कोई न कोई घटना प्रतिनिधि, सहरसा शहर प्रमंडल का गौरव कहे जाने वाले एकमात्र राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज सहरसा उपेक्षाओं के कारण अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. […]
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