गीता के कारण ढ़ाई महीने तक सुर्खियों में रहा कबीरा

गीता के कारण ढ़ाई महीने तक सुर्खियों में रहा कबीरा विदेश मंत्रालय ने भी मान लिया था कि गीता है सहरसा की बेटीदिल्ली व मुंबई तक से कबीरा पहुंची थी मीडिया की टीमकुमार आशीष/ सहरसाभारत से भटक कर पाकिस्तान जा पहुंची गीता के कारण ही सहरसा दो महीने 18 दिनों तक लगातार सुर्खियों में बना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 28, 2015 6:35 PM

गीता के कारण ढ़ाई महीने तक सुर्खियों में रहा कबीरा विदेश मंत्रालय ने भी मान लिया था कि गीता है सहरसा की बेटीदिल्ली व मुंबई तक से कबीरा पहुंची थी मीडिया की टीमकुमार आशीष/ सहरसाभारत से भटक कर पाकिस्तान जा पहुंची गीता के कारण ही सहरसा दो महीने 18 दिनों तक लगातार सुर्खियों में बना रहा. प्रारंभिक दिनों में अंदेशा मात्र था. लेकिन 15 अक्टूबर को पाक के ईदी फाउंडेशन को भेजी गयी जनार्दन की तसवीर को पहचान कर गीता ने देश-विदेश के मानचित्र पर अति सुदूर गांव कबीराधाप को बड़ी चर्चाओं में शामिल कर दिया. देश भर की मीडिया में गीता के गांव को पहले दिखाने की होड़ मची रही. अखबारों के कवर पेज पर टॉप बॉक्स व चैनलों की सुर्खियों में कबीरा शामिल रहा. हमेशा उस तसवीर को अपने पास रख जनार्दन को निहारते रहने के कारण भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी मान लिया था कि गीता सहरसा के जनार्दन महतो की ही बेटी है. तभी तो गीता को भारत लाये जाने से पूर्व विदेश मंत्रालय के विशेष आदेश पर जनार्दन को डीएनए टेस्ट के लिए हवाई जहाज से दिल्ली बुलाया गया था. छह अगस्त से 26 अक्तूबर की कहानीकहानी छह अगस्त से शुरू होती है. जब पहली बार टेलीविजन के विभिन्न चैनलों पर भारत की गीता के पाकिस्तान में फंसी होने की खबरें प्रसारित की गयी. अगले दिन सात अगस्त को टीवी पर गीता की खबर देख जिले के कबीराधाप निवासी जनार्दन महतो ने उसकी बेटी होने का दावा किया. विभिन्न माध्यमों से बात दिल्ली तक पहुंची तो वहां से दावेदारी पेश करने का आदेश जारी हुआ. देश भर से पांच परिवारों ने गीता को अपनी खोयी व भटकी बेटी बताते विदेश मंत्रालय में दावेदारी पेश की. अगस्त महीने की आखिरी में जनार्दन ने भी दिल्ली जाकर दावा किया. विदेश मंत्रालय के बुलावे पर 13 सितंबर को जनार्दन महतो एक बार फिर दिल्ली गए. मंत्रालय में परिवार की तसवीरें जमा करायी. साथ में कुछ अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य भी सौंपे. मंत्रालय ने जनार्दन से क्षेत्र के सांसद व विधायक से प्रमाण पत्र लिखा लाने की बात कह बैरंग लौटा दिया. जनप्रतिनिधियों के चुनाव में व्यस्त रहने के कारण यहां आकर उन्हें काफी भाग-दौड़ करनी पड़ी. सांसद चौधरी महबूब अली कैसर से पटना तो विधायक अरुण कुमार से मधेपुरा जाकर सर्टिफिकेट लेना पड़ा. 26 अक्तूबर को दिल्ली जा जनार्दन ने प्रमाण पत्र भी जम करा दिया. लेकिन उसके बाद कोई खोज-खबर नहीं ली गई. अब जब कुछ नेता गीता को वापस लाने में अपना योगदान बताते हैं तो यह हास्यास्पद के अलावा और कुछ नहीं लगता है. टॉप बॉक्स में सजती रही थी गीता 13 अक्तूबर को विदेश मंत्रालय ने जनार्दन के परिवार की तसवीर पक उचचायुक्त को भेजी. जहां से 16 अक्टूबर को ईदी फाउंडेशन भेजे जाने के बाद गीता ने उसे अपने परिवार के रूप में पहचाना. उस तसवीर के साथ गीता का जुड़ाव देख कर भारत के विदेश मंत्रालय ने भी मान लिया कि गीता सहरसा की बेटी है. उसने यह ऐलान भी कर दिया कि गीता के परिवार का पता चल गया है. इसके साथ ही सहरसा जिले के कोसी तटबंध के भीतर बसे कबीराधाप गांव में मीडिया का जमावड़ा लगने लगा. जनार्दन के परिवार समेत गांव वालों की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा. विदेश मंत्रालय के निर्देश पर जनार्दन को 18 अक्तूबर को डीएनए टेस्ट के लिए मजिस्ट्रेट व पुलिस अधिकारी के साथ सहरसा से पटना व पटना से दिल्ली ले जाया गया. इस बीच कबीराधाप चैनलों के हेडलाइंस व अखबारों के मुख्यपृष्ठ के टॉप बॉक्स में सजती रही. 26 अक्तूबर को भारत वापसी के बाद जवाहरलाल नेहरू भवन में ठहरी गीता ने जनार्दन को पहचानने से इनकार कर दिया और ढ़ाई महीने से चली आ रही कहानी पर एकबारगी पूर्ण विराम लगा दिया. जनार्दन सहित कबीरा निवासियों की उम्मीदें झटके में बिखर गयी. लेकिन जिले के लोगों को ढ़ाई महीने कहानी हमेशा याद रहेगी. फोटो- गीता 1 व 2- गीता व दावेदार पिता जनार्दन के हाथों में थी एक ही तसवीर

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