प्रकृति से असीम चाहत ने बनाया पर्वतारोही : संतोष

प्रकृति से असीम चाहत ने बनाया पर्वतारोही : संतोष माउंटेनियर संतोष यादव ने छात्राओं को सुनायी अपनी सफलता की कहानीकहा, ऊर्जा व आत्मविश्वास से मिली सफलता अभय कुमार मनोज/सहरसा सदर हरियाणा की संतोष यादव जब 16 वर्ष की थी, तभी उसके घर वालों ने उनकी शादी तय कर दी थी. इस निर्णय से नाराज संतोष […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 30, 2015 6:33 PM

प्रकृति से असीम चाहत ने बनाया पर्वतारोही : संतोष माउंटेनियर संतोष यादव ने छात्राओं को सुनायी अपनी सफलता की कहानीकहा, ऊर्जा व आत्मविश्वास से मिली सफलता अभय कुमार मनोज/सहरसा सदर हरियाणा की संतोष यादव जब 16 वर्ष की थी, तभी उसके घर वालों ने उनकी शादी तय कर दी थी. इस निर्णय से नाराज संतोष ने अपने परिजनों को दो टूक जबाव दे विरोध जता दिया था. कॉलेज के दिनों से ही संतोष का प्रकृति से गहरा लगाव रहा था. वह हर समय नदी, तालाब, धरती, आसमान, पेड़-पौधे व पहाड़ों के बारे में सोचती रहती थीं. एक रात उसने हिमालय की विशाल शृंखला को सपने में देखा और वहीं उन्होंने हिमालय तक पहुंचने का प्रण ले लिया. हिमालय की चोटी तक पहुंचना उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर लिया. उन दिनों संतोष हरियाणा के महारानी कॉलेज के हॉस्टल में रह कर पढ़ती थी. कॉलेज की आम छात्राओं से अलग हट संपन्न परिवार से होने के बावजूद संतोष अपना पॉकेट खर्च बचा-बचा कर उद्देश्य की पूर्ति के लिए अभ्यास करती रही. जब हिमालय पर जाने के लिए उनका चयन हुआ, उस दौरान अपने कर्म व ऊर्जा की बदौलत वह कदम बढ़ाती रही. एक महीने के कठिन परिश्रम से उन्हें माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने में कामयाबी मिली. इसके बाद शोहरत उनके पास चल कर आने लगी. हिमालय की चोटी पर पहुंची तो कुछ समय के लिए वह शून्यता में चली गयी. उन्होंने अपने माथे को उस सौंदर्य से स्पर्श किया और राष्ट्रपति द्वारा दिये गये राष्ट्रध्वज को हिमालय की चोटी पर स्थापित करते समय गर्व से प्रफुल्लित हो उठीं. इसी हौसले व ऊर्जा के कारण चार बार हिमालय की चोटी पर चढ़ने में सफल हुई. आज पूरा भारत उन्हें अपनी बेटी के रूप में सम्मान दे रहा है. वह गौरवान्वित हो रही हैं. फोटो-संतोष 4- माउंटेनियर संतोष यादव

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