बिहार है आपका, सोंच-समझ कर ही करें वोट अंतिम चरण में कल गुरुवार को डाले जायेंगे वोट, देश भर की नजर कोसी परअसमाजिक तत्वों के विरुद्ध मतदान करने का है निश्चयसहरसा मुख्यालय. कल यानी पांच नवंबर दिन गुरुवार को कोसी सहित मिथिला एवं सीमांचल के विधानसभा सदस्यों का भाग्य लिखा जाना है. मतदाता सुबह से ही अपने बूथों पर कतार लगा वोट देने को आतूर होंगे, लेकिन यह गंभीर विषय होगा कि वे किस आधार पर अपना अति महत्वपूर्ण मत किसी प्रतिनिधि को देंगे. क्या वे राष्ट्र, राज्य या क्षेत्र के आधार पर मतदान करेंगेे या फिर प्रत्याशियों में से किसी व्यक्तिगत परिचय के आधार पर मत डालेंगे. उन्हें अंतिम समय तक यह सोंचना होगा कि वे बिहार का निर्माण करने जा रहे हैं. बिहार के आइकॉन समझे जाने वाली शारदा सिन्हा, केजे राव, रविश कुमार, मनोज वाजपेयी, सुधीर मिश्रा ने भी लोगों से असमाजिक तत्वों के विरुद्ध मतदान की अपील की है. चूंकि इस चुनाव लगभग सभी दलों के वरीय नेताओं ने अपने बयान की सारी सीमाएं लांघ दी है. कई ने तो देश की धर्म निरपेक्षता पर सवाल खड़ा कर दिया ते कई कट्टरपंथता को हावी बना दिया. पूरे देश के नेताओं ने बिहार को अपनी युद्धभूमि बना ली है. नेताओं की भाषाओं से अब तक देश लगभग टूट चुका है. सहिष्णुता पर कई सवाल खड़े हो चुके हैं. अब अंतिम चरण के मतदाताओं को बिहार की तकदीर लिखने में अपनी मुख्य भूमिका निभानी होगी. बिहार को मजबूत धर्म निरपेक्ष राज्य के रूप में पहचान दिलानी होगी. -चार क्षेत्रों में 50 प्रत्याशी निशाने परजिले के चार विधानसभा क्षेत्र क्रमश: सहरसा, महिषी, सोनवर्षा व सिमरी बख्तियारपुर चुनाव के लिए तैयार है, जहां सूबे की सत्तासीन महागंठबंधन व एनडीए सहित अन्य के 50 उम्मीदवार मतदाताओं के निशाने पर हैं. इन चार सीटों पर अभी महागंठबंधन के तीन व भाजपा के एक एक विधायक पद पर काबिज हैं. इस बार टक्कर कांटे की है, लेकिन सहरसा विधानसभा सीट को छोड़ शेष सभी सीटों पर जीत-हार का आकलन आसान है. सभी क्षेत्रों में कई आकांक्षाएं काफी हद तक पूरी हुई हैं तो कई अपेक्षाएं बाकी रह गय हैं. वोटर पहले से अधिक जागरूक हुए हैं. वे अपने जनप्रतिनिधि से कुछ विशेष की अपेक्षा रख वोट करने की बात कर रहेे हैं. -बयानों पर जता रहे अफसोसकोसी क्षेत्र की मतदाता जागरूक है. वह राजनीति को बखूबी समझती है. बिहार विधानसभा के इस चुनाव में विभिन्न पार्टियों के शीर्ष नेताओंं के एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप के चले वाणों से ये शर्मिंदगी महसूस कर रहे हैं. लोगों ने कहा कि चुनाव में विभिन्न दलों ने अपने कुत्सित बयान से बिहार को नीचे दिखाने का जो प्रयास किया है. वह निंदनीय है. वे कहते हैं कि वैश्विक सुख-सुविधाओं से पहले उन्हे शांति का जीवन चाहिए. धर्म-संप्रदाय, जाति-उपजाति, मंदिर-मसजिद के नाम पर लड़ाए जाने के खेल में वे नहीं पड़ेंगे. वे धर्मनिरपेक्षता, सहिष्णुता के पक्षधर रहे हैं और चुनाव में भी वे इसी विचारों के पैरोकार रहेंगे. वोटर बताते हैं कि जिस बिहार की गरिमा सैकड़ों वर्षों से विश्व के लोगों के सामने है. वे उस उपलब्धि व गरिमा पर दाग नहीं लगने देंगे. संस्कार, संस्कृति व राज्य की प्रतिष्ठा के लिए ही उनका मत पड़ेगा.
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बिहार है आपका, सोंच-समझ कर ही करें वोट
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