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सुरक्षा की दृष्टि से महफूज नहीं ए-ग्रेड सहरसा जंकशन

सुरक्षा की दृष्टि से महफूज नहीं ए-ग्रेड सहरसा जंकशन चारों ओर से स्टेशन के खुले रहने के कारण यात्री सुरक्षा भगवान भरोसे प्रतिनिधि, सहरसा सदर समस्तीपुर रेल मंडल के ए-ग्रेड में शामिल सहरसा जंक्शन जहां यात्रियों की बुनियादी सुविधाओं को लेकर दंश झेल रहा है, वहीं स्टेशन की सुरक्षा की दृष्टि से भी ए-ग्रेड में […]

सुरक्षा की दृष्टि से महफूज नहीं ए-ग्रेड सहरसा जंकशन चारों ओर से स्टेशन के खुले रहने के कारण यात्री सुरक्षा भगवान भरोसे प्रतिनिधि, सहरसा सदर समस्तीपुर रेल मंडल के ए-ग्रेड में शामिल सहरसा जंक्शन जहां यात्रियों की बुनियादी सुविधाओं को लेकर दंश झेल रहा है, वहीं स्टेशन की सुरक्षा की दृष्टि से भी ए-ग्रेड में शामिल यह स्टेशन कहीं से भी सुरक्षित नहीं है. सुरक्षा की बुनियादी सुविधाओं के कारण स्टेशन के असुरक्षित रहने से रेल सुरक्षा कर्मियों को भी अपराधियों पर नजर बनाये रखने व यात्रियों की सुरक्षा को लेकर मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. पड़ोसी देश नेपाल से जुड़े रहने के कारण सहरसा जंक्शन सुरक्षा को लेकर कहीं से भी सुरक्षित नहीं है. सहरसा से प्रतिदिन 10 हजार से ज्यादा रेल यात्री दिल्ली, पंजाब सहित अन्य प्रदेशों के लिए यहां से आवागमन करते हैं. लेकिन उन रेल यात्रियों की सुरक्षा को लेकर रेल प्रशासन कहीं से भी सजग नहीं दिखता है. चारों ओर से स्टेशन के खुले रहने से व चाहरदीवारी नहीं रहने के कारण सुरक्षा की दृष्टि से यह स्टेशन बिल्कुल बेखबर है. खुला स्टेशन रहने के कारण स्थानीय जीआरपी व आरपीएफ के सुरक्षा कर्मियों को भी स्टेशन व यात्रियों की सुरक्षा ठीक से नहीं हो पाती है. जिसके कारण आये दिन वाशिंग पीट, बंगाली बाजार रेलवे क्रासिंग, चांदनी चौक रेलवे परिसर की ओर आपराधिक वारदातें होता रहता है. जिसे नियंत्रित करने में रेलवे सुरक्षा बल के पास पर्याप्त सुरक्षा कर्मी नहीं रहने के कारण हर ओर सुरक्षा कर्मी को तैनात करना संभव नहीं हो पाता है. रेल परिसर के अंदर वांछित व आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की निरंतर आवाजाही के कारण कई बार रेल परिसंपत्ति की चोरी कर भी रेलवे को करोड़ों रुपये की क्षति पहुंचायी जा चुकी है. खासकर रेलवे वाशिंग पीट की ओर अपराधियों की अत्यधिक आवाजाही के कारण ट्रेन व इंजन में लगे कई कीमती सामानों को इन अपराधियों द्वारा चोरी कर अंजाम दिया जा चुका है. हालांकि स्थानीय आरपीएफ व जीआरपी सुरक्षा बल की तत्परता से कई अपराधियों को अब तक पकड़ने में भी कामयाबी मिली है. लेकिन जब तक रेलवे स्टेशन की चारों ओर से घेराबंदी नहीं हो जाती है, तब तक यह स्टेशन सुरक्षा की दृष्टि से हर हमेशा असुरक्षित ही है. मानक के अनुसार होनी चाहिए घेराबंदी ए-ग्रेड में शामिल किसी भी रेलवे स्टेशन जहां से प्रतिदिन हजारों यात्री की आवाजाही होती हो, उस स्टेशन को मानक के अनुसार चारों ओर से घेराबंदी की सुरक्षा होनी चाहिए थी. 12 फीट की चाहरदीवारी के ऊपर तीन फीट कंटीली तार से घेराबंदी स्टेशन की सुरक्षा को लेकर महत्वपूर्ण है. यह रेलवे विभाग के स्टेशन की सुरक्षा की मानक में भी शामिल है. स्टेशन की घेराबंदी रहने के कारण यात्रियों के प्रवेश व निकास द्वार रहने व मेटल डिटेक्टर की सुविधा बहाल रहने से हमेशा ही स्टेशन की सुरक्षा बनी रहती है. जबकि यह सुविधा ए-ग्रेड में शामिल सहरसा जंक्शन पर नदारद तो है ही वहीं स्टेशन पर यात्री सुरक्षा को लेकर अब तक सीसीटीवी कैमरा भी नहीं लगाया जा सका है. ताकि कोई भी बड़ी वारदात होने पर अपराधियों की पहचान की जा सके. 27 नवंबर को हाजीपुर जोन के जीएम की संभावित यात्रा को देखते हुए इन सभी कमियों की ओर ध्यान दिलाना भी जरूरी है. ताकि ए-ग्रेड में शामिल सहरसा जंक्शन यात्री व स्टेशन की सुरक्षा को लेकर महत्वपूर्ण बना रहे. स्टेशन व यात्री सुरक्षा को लेकर हो रही परेशानियों की बात पूछे जाने पर आरपीएफ इंस्पेक्टर अर्जुन कुमार यादव ने बताया कि उनके द्वारा स्थानीय स्तर के रेल अधिकारियों को कई बार पत्राचार के द्वारा स्टेशन की चारों ओर से घेराबंदी की मांग की गयी है. लेकिन अब तक उस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा सका है. अब सीधे डीआरएम से पत्राचार कर सुरक्षा की दृष्टि से स्टेशन की घेराबंदी की ओर इनके द्वारा ध्यान केन्द्रित कराने की पहल की जा रही है. फोटो- स्टेशन 15 – सहरसा जंक्शन

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