आलू उत्पादन कर संवार सकते हैं अपना भवष्यि

आलू उत्पादन कर संवार सकते हैं अपना भविष्यउद्यान विभाग आलू उत्पादन को दे रहा है बढ़ावाउद्यान विभाग अपने उत्पादित बीज को भेज रहा है दूसरे जिलों को फोटो:4- कृषि फार्म में रखा आलू का बीज प्रतिनिधि, अररियाभोजन में पौष्टिक आहार के रुप में माना जाने वाला आलू बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के शरीर को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 29, 2015 6:38 PM

आलू उत्पादन कर संवार सकते हैं अपना भविष्यउद्यान विभाग आलू उत्पादन को दे रहा है बढ़ावाउद्यान विभाग अपने उत्पादित बीज को भेज रहा है दूसरे जिलों को फोटो:4- कृषि फार्म में रखा आलू का बीज प्रतिनिधि, अररियाभोजन में पौष्टिक आहार के रुप में माना जाने वाला आलू बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के शरीर को पोषण देने का भंडार है. जिले में आलू उत्पादन की असीम संभावना है. जिले के किसान अगर चाहें, तो अपने कृषि योग्य भूमि जहां पानी नहीं लगता हो वहां पर आलू उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. जिला में आलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण अररिया के उद्यान कार्यालय के द्वारा प्रखंड स्तर पर पंचायत सलाहकार के माध्यम से किसानों को जागरूक करने की जिम्मेवारी सौंपी गयी है. जिला कृषि कार्यालय ने वर्ष 2014 में अपने फार्म की साढ़े पांच हेक्टेयर भूमि में आलू की खेती किया था. उपज भी अच्छी हुई. अब उस आलू को बीज के रूप में किसानों को बेचा जा रहा है. यही नहीं विभागीय स्तर पर आलू के बीज को दूसरे जिले में भी भेजा जा रहा है.आलू उत्पादन की विधिआलू एक अर्ध सड़नशील सब्जी वाली फसल है. इसकी खेती रबी मौसम या शरद् ऋतु में की जाती है. जल जमाव से मुक्त, उसर रहित व जहां सिंचाई की सुविधा हो वह खेत आलू की खेती के लिए उपयुक्त है. खरीफ की फसल जैसे धान, मक्का आदि की खाली की गयी खेत में आलू की खेती की जा सकती है. आलू उत्पादन के लिए खेत में उर्वरा शक्ति पैदा करने के लिए प्रचुर मात्रा में जैविक व रासायनिक उर्वरक की आवश्यकता होती है. खेत में उर्वरा शक्ति को कायम रखने के लिए गोबर, खल्ली में अंडी, सरसों, नीम व करंज जो भी आसानी से मिल जाय किसान उसका व्यवहार कर सकते हैं. आलू को रोपनी का समय हस्त नक्षत्र के बाद व दीपावली के दिन तक आलू रोपनी का अच्छा समय माना जाता है. वैसे अक्तूबर के प्रथम सप्ताह से लेकर दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक आलू की रोपनी की जाती है. लेकिन अधिक उपज के लिए पांच नवंबर से 20 नवंबर तक आलू की रोपनी को अच्छा माना गया है. आलू के पौधों को खास तौर पर संरक्षण की आवश्यकता है. इसके लिए रोपनी से पूर्व फोरेट-10 जी या डर्सभान 10 जी उर्वरा के साथ मिला कर खेतों में व्यवहार कर सकते हैं. 20 दिसंबर से 20 जनवरी तक पछात झुलसा रोगों से बचाव के लिए 10 से 15 दिनों के अंतराल फफूंद नाशक दवा का छिड़काव करना पड़ता है. आलू में कुकरी यानी लीफ रोल नाम विषाणु रोग से बचाव के लिए 14 जनवरी के आस-पास लाही गिरने के समय में मेटासिस्टोक्स नामक दवा का प्रति लीटर पानी में एक मिली लीटर दवा डाल कर स्प्रे किया जाता है. किसान अगर सही तरह से खेती करे तो 160 से 170 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक आलू का उत्पादन कर सकते हैं. उद्यान विभाग भी उपलब्ध कराता है बीजराजेंद्र आलू -1 कुफ्री बहार मध्य अगात के लिए प्रचलित प्रभेद है जो 90 से 105 दिनों में परिपक्व हो जाता है. जिला उद्यान विभाग से कुफरी अशोका, कुफरी चिप्सोन -3, कुफरी कंचन व कुफरी पुखराज नाम के बीज किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है. कुफ्री, ज्योति अरेतक सफेद आलू की वह नस्ल है जो कि 60 दिनों में तैयार होता है. जिला उद्यान विभाग के द्वारा वर्ष 2014-15 में साढ़े पांच हेक्टेयर में आलू की खेती की गई जिसमें 176 क्विंटल आलू का बीज लगा. उपज हुआ 596 क्विंटल जिसे बीज के लिए कोल्ड स्टोरेज में रखा गया. जागरूक किसान बीजों का आरक्षण पूर्व में करा लेते हैं. इस वर्ष आलू की खेती के लिए 107 क्विंटल आलू को प्राइवेट किसानों के बीच 1800 रुपये प्रति क्विंटल के दर से बेचा गया. जिसमें किसानों को सात सौ रुपये का अनुदान सरकार के द्वारा दिया गया. जबकि नवंबर के अंतिम सप्ताह में बीज का मूल्य 1100 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. अररिया से सुपौल को भेजा जायेगा आलू का बीजजिला उद्यान विभाग के बीज की क्वालिटी को देखते हुए 325 क्विंटल आलू बीज को राज्य निदेशक उद्यान बिहार के निर्देश पर सुपौल जिले को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है. जबकि उद्यान विभाग के पास साढ़े पांच हेक्टेयर में 176 क्विंटल बीज की खपत के बाद अब 303 क्विंटल ही बीज बच पा रहा है. जिले उद्यान विभाग के द्वारा 2014 -15 में आधार-1 प्रभेद के बीज से कुल 586 क्विंटल बीज उत्पादन कर 10,54,800 लाख रुपये की कमाई की गई है. जिसे सहायक निदेशक उद्यान विभाग के द्वारा कोषागार में जमा कराया गया है.कहते हैं सहायक उद्यान निदेशकसहायक उद्यान निदेशक प्रभाग के अशोक कुमार साह ने बताया कि आलू की खेती कर किसान ज्यादा से ज्यादा लाभ कमा सकते हैं. जिला उद्यान विभाग के द्वारा बीजोपचार विधि से तैयार आलू के आधार-1 बीज के नस्ल से आलू की खेती कराया गया है. इसके तहत 107 क्विंटल आलू के बीज को किसानों के बीच उपलब्ध कराया गया है. जबकि बीज नस्ल अच्छा होने के कारण दूसरे जिले को भी भेजा जा रहा है. किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए बीज पर अनुदान भी दिया गया था. हालांकि कुल उत्पादित बीज की बिक्री हो चुकी है. लेकिन किसान अगर पूर्व में आरक्षित करा लेंगे तो उन्हें समय पर बीज उपलब्ध कराया जायेगा.

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