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सहरसा में एड्स रोगियों की संख्या 25

सहरसा में एड्स रोगियों की संख्या 25 विश्व एड्स दिवस आजश्रुतिकांत /सहरसाविगत कुछ वर्षों से जिले में एचआइवी संक्रमित रोगियों की संख्या में कमी के बाद इस वर्ष वृद्वि दर्ज की गयी है. आम लोगों में जागरुकता की कमी के वजह से लाइलाज बन चुके इस मर्ज पर नियंत्रण नहीं किया जा सका है. इस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 30, 2015 7:16 PM

सहरसा में एड्स रोगियों की संख्या 25 विश्व एड्स दिवस आजश्रुतिकांत /सहरसाविगत कुछ वर्षों से जिले में एचआइवी संक्रमित रोगियों की संख्या में कमी के बाद इस वर्ष वृद्वि दर्ज की गयी है. आम लोगों में जागरुकता की कमी के वजह से लाइलाज बन चुके इस मर्ज पर नियंत्रण नहीं किया जा सका है. इस रोग के फैलाव की मुख्य वजह अशिक्षा व असावधानी के रुप में सामने आ रही है. एड्स जैसे जानलेवा रोग के खात्मे के लिए समाज सहित स्वास्थ्य महकमा को जागरूक होने की आवश्यकता है. खासकर परदेश से कमाई कर लौटने वाले कामगारों के वापसी पर एड्स की जांच आवश्यक होनी चाहिए. आंकड़े बताते है कि जिले में बाहर से आने वाले लोगों द्वारा ही एड्स के संक्रमण को बढ़ावा दिया गया है. सरकारी आंकड़े में संख्या 25 सदर अस्पताल स्थित एड्स विभाग के काउंसलर मनोज कुमार सिंह से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2010 में 4340 मरीजों का काउंसलिंग किया गया. 3690 की जांच की गयी. इनमें 41 में एचआइवी जांच पॉजिटिव पाया गया. वर्ष 2011 में 5311 मरीजों की काउंसलिंग की गयी. जिसमें से 4799 मरीजों की जांच की गयी. उसमें 50 को चिह्नित किया गया. वर्ष 2012 में 5702 मरीजों की काउंसलिंग की गयी. जिसमें 5236 मरीजों की जांच की गयी. उसमें 36 मरीज चिह्नित किया गया. वर्ष 2013 में 5301 मरीजों की काउंसलिंग की गयी. जिसमें 4996 मरीजों की जांच की गयी. उसमें 21 मरीज संक्रमित पाये गये. वर्ष 2015 के नवम्बर माह तक 87 सौ 85 मरीजों की काउंसलिंग की गयी. जिसमें 77 सौ 50 मरीजों की जांच की गयी, उसमें 25 मरीज संक्रमित पाये गये. वही वर्ष 2003 से नवम्बर 2015 तक कुल 53 हजार 244 मरीजों क ा काउंसलिंग की गयी. जिसमें 40 हजार 819 मरीजों की जांच की गयी. उसमें कुल 322 मरीज संक्रमित पाये गये है. क्या है एचआईवी एचआईवी एक वायरस है, जो मानव शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है. यह वायरस जब मानव शरीर में प्रवेश करता है, तो उसे एचआईवी पॉजीटिव कहा जाता है. मानव शरीर में यह वायरस संक्रमित व्यक्ति से असुरक्षित यौन संबंध बनाने, संक्रमित गर्भवती माता से जन्म लेने वाले बच्चों में, संक्रमित खून चढ़ाने से तथा संक्रमित सूई के प्रयोग से प्रवेश करता है. एचआईवी संक्रमित लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे घटने लगती है. दवा व पौष्टिक खान-पान नहीं लेने से भी रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी निन्म स्तर पर पहुंच जाता है. धीरे-धीरे कुछ वर्षों के बाद यह एड्स में परिवर्तित हो जाता है.मजदूर वर्ग है चपेट में जानकारी के अभाव व गलत संगत में पड़कर ज्यादातर मजदूर वर्ग के लोग इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. इनमें अन्य प्रांतों में जाकर मजदूरी करने जाने वाले मजदूरों की संख्या अधिकाधिक है. बाहर में असुरक्षित यौन संबंध के कारण मजदूर वर्ग इस संक्रमण की गिरफ्त में आ रहे हैं. वापस घर आने पर अपने साथ मजदूरी की कमाई के अलावा एड्स भी लाते है. काउंसलर मनोज कुमार सिंह ने बताया कि काउंसलिंग से लेकर जांच तक में अन्य प्रांतों में कमाई कर घर लौटने वालों लोगों की ही संख्या ज्यादा रहती है. संक्रमित रोगियों को विशेष कार्ड भी उपलब्ध कराया जाता है. ताकि किसी भी क्षेत्र में अस्पताल से दवा प्राप्त कर नियमित खुराक ले सके.क्या है लक्षण लगातार शरीर का वजन घटना, अक्सर बुखार रहना, दस्त लगना, मुंह में छाले पड़ना, फेफड़े का रोग बढ़ जाना व सामान्य बीमारियों में भी दवाईयों का प्रभावी नहीं होना इस रोग के संक्रमण का लक्षण माना जाता है.बचाव के उपाय सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ विनय कुमार सिंह ने बताया कि एड्स एक लाइलाज बीमारी है. जिससे बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग एवं अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा दी गयी जानकारी को अपना कर ही इस रोग से बचा जा सकता है. उन्होंने कहा कि इसके अलावे सुरक्षित यौन संबंध, गुणवत्तापूर्ण कंडोम का इस्तेमाल, नई सिरींज का उपयोग, एचआईवी मुक्त खून का प्रयोग, सेविंग में एक ब्लेड का प्रयोग नहीं करे, कचड़े में पड़े ब्लेड से हाथ-पांव के नाखून नहीं काट कर इस लाइलाज बीमारी से बचा जा सकता है.

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