रूठी प्रकृति को मनाने के लिए होता है यज्ञ

सोनवर्षा : राजसोहा गांव में आयोजित श्री श्री 108 विष्णु विराट महायज्ञ का उद्घाटन शिव शक्ति योगपीठ नवगछिया के परम पूज्य स्वामी अगमानंद परमहंस जी महाराज तथा महायज्ञ कमेटी के अध्यक्ष गणेश प्रसाद सिंह के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया. मंगलवार को इस मौके पर अपने प्रवचन के दौरान महाराज ने धर्म और यज्ञ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 1, 2015 6:53 PM

सोनवर्षा : राजसोहा गांव में आयोजित श्री श्री 108 विष्णु विराट महायज्ञ का उद्घाटन शिव शक्ति योगपीठ नवगछिया के परम पूज्य स्वामी अगमानंद परमहंस जी महाराज तथा महायज्ञ कमेटी के अध्यक्ष गणेश प्रसाद सिंह के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया. मंगलवार को इस मौके पर अपने प्रवचन के दौरान महाराज ने धर्म और यज्ञ के औचित्य की विवेचना करते हुए कहा कि यज्ञ से अन्यान्य कारणों से रूठी हुई प्रकृति को मनाया जाता है.

प्रकृति के प्रसन्न होने से जीवनदायिनी वर्षा होती है. जिससे प्रचुर मात्रा में अन्न का उत्पादन होता है. अन्न ही मनुष्य के जीवन की रक्षा करता है. यही नहीं, यज्ञ से न केवल मनुष्य की आत्मा की शुद्धि होती है, बल्कि यज्ञ में होने वाले हवन में प्रयुक्त समिधाओं के धुआं से पर्यावरण भी स्वच्छ होता है. महाराज कहते हैं कि धर्म कार्य हमारी पशुता को समाप्त करता है.

साथ ही खंडित और बिखरे मानव जातियों को एक सूत्र में वैसे ही जोड़ता है, जैसे विभिन्न प्रकार के पुष्पों को एक धागे में पिरोकर माला बनाया जाता है. धर्म ही एकमात्र माध्यम है, जो मनुष्यता को बचाकर ईश्वर से एकाकार कर देता है.

महायज्ञ में मंगलवार की रात मातृ सेवा शक्ति संस्थान मथुरा की विदुषी हेमलता शास्त्री जी का प्रवचन तथा वृंदावन के हरे कृष्ण लीला मंडली द्वारा रासलीला का आयोजन किया जा रहा है. फोटो- यज्ञ 16 व 17 – उद्घाटन एवं प्रवचन देते महाराज

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