लोगों की इज्जत डूबा रहा नाला
सहरसा मुख्यालय : 40 वार्डों के इस शहर के बहुत कम इलाकों में जल निकासी के लिए नाले बने हुए हैं, लेकिन जहां कहीं हैं भी, वहां इसे साफ रखने की कोई कवायद नहीं की जाती है. आश्चर्य तो यह भी है कि उस वार्ड के लोगों ने स्थानीय समस्या के समाधान के लिए वार्ड […]
सहरसा मुख्यालय : 40 वार्डों के इस शहर के बहुत कम इलाकों में जल निकासी के लिए नाले बने हुए हैं, लेकिन जहां कहीं हैं भी, वहां इसे साफ रखने की कोई कवायद नहीं की जाती है. आश्चर्य तो यह भी है कि उस वार्ड के लोगों ने स्थानीय समस्या के समाधान के लिए वार्ड के व्यक्ति को जनप्रतिनिधि बना कर नगर सरकार में भेजा है, लेकिन वे भी किसी तरह की पहल नहीं कर रहे हैं. लोग कहते हैं कि वार्ड पार्षद सिर्फ नप की योजनाओं में उलझा रह जाता है.
परिषद के मूल कार्यों से वह विमुख हो जाता है. इधर पार्षद और परिषद की लापरवाही का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है. नाले के गंदे व बदबूदार पानी व कचरों के बीच रहने की नियति बन गयी है. अनढ़के नाले के कारण रोज पनपते मच्छर व विचरने वाले सूअरों से बीमारी पा रहे हैं, लेकिन इस नगर सरकार की विधायिका व कार्यपालिका की संवेदना नहीं जग पा रही है.
कहीं सूखी तो कहीं उफना रही नालियां
वार्ड नंबर 30 में मनोहर हाई स्कूल के पास से ही नाले की दुर्गति दिखने लगती है. कचरों से भरे नाले में पानी का बहाव पूरी तरह अवरुद्ध है. आगे आरपी ऑटो के पास जाकर नाली पूरी तरह भरी हुई नजर आती है, जबकि दस कदम आगे जाते ही अनढ़की नालियां उफनाती व गंदगी फैलाती दिख जाती है. यहां से आगे तक नालों की ऐसी ही स्थिति है.
दुर्गा मंदिर के पास कायस्थ टोला जाने वाली सड़क के मुहाने पर तो नाला उबकाई लाने वाली स्थिति में है. गंदे व काले पानी से लबाबल भरा नाला महीनों से साफ नहीं हुआ है. वहीं कायस्थ टोला प्रवेश के अगले मुहाने पर भी नाले का ओवर फ्लो पानी लोगों के घरों व दुकानों में प्रवेश करता दिख जाता है.
यहां टर्निंग प्वाईंट पर लगे ढक्कनों के बीच से गंदा पानी रिस-रिस का बाहर आता रहता है. अंदर मुहल्लों में बने नालों को तो वर्षों से ढ़क्कन में दबा कर रखा गया है. वह भी कचरों से जाम है. घरों से बहने वाले पानी उसी नाले में घुमड़ कर रह जाते हैं.