अब बिहार में बेटियां भी दौड़ाने लगी हैं ट्रेन

सहरसा : कभी बेटियों का जन्म लेना समाज में अभिशाप समझा जाता था. आज बदलते परिवेश व माहौल के बीच उस कथ्य को बिहार की तीन बेटियों ने गलत साबित कर दिया है. बिहार से बाहर ट्रेन चालक के रूप में कई बेटियों ने पहले भी कामयाबी हासिल कर देश व दुनिया को बेटे व […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 14, 2015 2:09 AM

सहरसा : कभी बेटियों का जन्म लेना समाज में अभिशाप समझा जाता था. आज बदलते परिवेश व माहौल के बीच उस कथ्य को बिहार की तीन बेटियों ने गलत साबित कर दिया है. बिहार से बाहर ट्रेन चालक के रूप में कई बेटियों ने पहले भी कामयाबी हासिल कर देश व दुनिया को बेटे व बेटियों के फर्क को मिटाने का जज्बा दिखाया है. उन्हीं लड़कियों को प्रेरणा श्रोत मानने वाली बिहार की बेटी अब राज्य में भी ट्रेन को चलाने का जज्बा दिखा रही हैं.

समस्तीपुर रेल मंडल में पहली बार सहायक लोको पायलट के रूप में बिहार के अलग-अलग तीन जिले की रहने वाली महिला चालकों की पदस्थापना हुई है. महिला को ट्रेन चलाते देख हर किसी की नजर उस ओर जा टिकती है. शनिवार देर रात पहली बार समस्तीपुर से 55554 सवारी गाड़ी को लेकर सहायक चालक चंदू कुमारी, चालक शिव कुमार झा के साथ रात 11.30 बजे सहरसा स्टेशन पहुंची. रविवार सुबह 7.30 बजे पुन: 55533 सहरसा-समस्तीपुर पैसेंजर ट्रेन को लेकर सहायक चालक चंदू समस्तीपुर के लिए रवाना हुई. समस्तीपुर जिले के पूसा की रहने वाली चंदू ने मैट्रिक व आइटीआइ की शिक्षा ग्रहण की है.

समस्तीपुर, औरंगाबाद व बेगूसराय की हैं तीनों महिला ड्राइवर
औरंगाबाद की गीता भी पॉलिटेक्निक से डिप्लोमा है. एक अन्य महिला सहायक चालक बेगूसराय जिले की माया आनंद भी डिप्लोमा की है़ वहीं, चंदू समस्तीपुर की रहनेवाली है़ चीफ लोको इंस्पेक्टर अशोक कुमार ने बताया कि समस्तीपुर रेल मंडल में महिला चालक की पहली बार प्रतिनियुक्ति हुई है. इसको लेकर सहरसा रनिंग रूम में अलग से रहने की व्यवस्था की गयी है.

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