सामंतवाद पर करारी चोट है प्रेमचंद की कहानी सद्गति

सामंतवाद पर करारी चोट है प्रेमचंद की कहानी सद्गति मधेपुरा व पटना के रंगकर्मियों ने दी नाटक की बेहतरीन प्रस्तुतितालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा कला भवन प्रतिनिधि, सहरसा मुख्यालयसंस्कृति मंत्रालय के पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, कोलकाता द्वारा शहर के सुपर बाजार स्थित कला भवन में चल रहे पांच दिवसीय नवोदित नाट्य महोत्सव के चौथे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 21, 2015 6:41 PM

सामंतवाद पर करारी चोट है प्रेमचंद की कहानी सद्गति मधेपुरा व पटना के रंगकर्मियों ने दी नाटक की बेहतरीन प्रस्तुतितालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा कला भवन प्रतिनिधि, सहरसा मुख्यालयसंस्कृति मंत्रालय के पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, कोलकाता द्वारा शहर के सुपर बाजार स्थित कला भवन में चल रहे पांच दिवसीय नवोदित नाट्य महोत्सव के चौथे दिन ‘जिंदगी के कमरों में’ एवं ‘सद्गति’ की प्रस्तुति हुई. अक्षरा आर्ट्स, पटना के द्वारा प्रस्तुत जिंदगी के कमरों में व मधेपुरा इप्टा द्वारा सदगति दोनों नाटकों ने दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी. जिंदगी के कमरों में आज के वैश्वीकरण के बदलते परिवेश में मानव जीवन की गति सहित मनोविज्ञान पर राजनैतिक, सामाजिक व आर्थिक प्रभावों का सही चित्रण कर लोगों की भरपुर तालियां बटोरी. दर्शकों को भाव विभोर किया तो उनकी संवेदना को भी झकझोर गया. संवादहीन इस नाटक में क लाकारों ने विभिन्न आयामों, रंगों व अंतद्वंदों का बखूबी मनोशारीरिक अभिनय किया. रंगकर्मी विपुल आनंद, नीतीश कुमार, संतोष मेहरा, रंजन कुमार, जसप्रीत कौर, सत्यजीत केशरी ने जीवंत प्रदर्शन करने में सफलता पायी तो इसी नाटक में मंच के पीछे लाइट व्यवस्था में विजेंद्र टॉक, संगीत अभिजीत चक्रवर्ती, स्टेज मैनेजर हीरालाल राय, व अजीत कुमार, कोस्ट्यूम जसप्रीत कौर व निर्देशन अजीत कुमार का था. कथा शिल्पी प्रेमचंद की सद्गतिकथाशिल्पी प्रेमचंद की महान रचना सद्गति पर मधेपुरा नाट्य संस्था इप्टा के कलाकारों ने सामंतवादी व्यवस्था के विरुद्ध बेहतरीन नाट्य प्रस्तुति कर लोगों की खूब वाहवाही बटोरी. नाटक के माध्यम से यह दिखाने का सफल प्रयास किया गया कि समाज में उच्च जाति में पैदा हुए लोग नीच जाति के लोगों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं अथवा उनके प्रति मन में कैसा हीन भाव रखते हैं. नाटक देख रहे लोगों ने इसे सच्ची कहानी मान खूब तालियां बजायी व कलाकारों ने भी समाज की सच्चाई को बखूबी परोसा. अछूत दुखी के अभिनय को सुभाषचंद्र, उसकी पत्नी झुडि़या के रूप में अंजली कुमारी, गुनिया इशा कुमारी, पंडित के अश्रियनय में नीरज कुमार, पंडिताइन सिंकू कुमारी, चिखुरी विकास कुमार, सहित सत्यम कुमार, प्रेम कुमार, अनिल कुमार, विराट कुमारव संजीव कुमार ने बखूबी नि३भया. जबकि प्रेमचंद लिखित कहानी का नाट्य रूपांतरण तुरबसु ने किया. निर्देशन व साज-सज्जा सुभाष चंद्र का था. प्रकाश सुनीत कुमार, संगीत शंकर कुमार, सेट डिजाइन विकास कुमार व नीरज कुमार का था. रूप सज्जा संतोष कुमार व शफी उल्लाह का था. फोटो- नाटक 12 व 13- संवादहीन जिंदगी के कमरों में का मंचन करते रंगकर्मीफोटो- नाटक 14 से 17- सद्गति कथा को जीवंत रूप देते रंग कलाकार

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