नहीं संभले, तो डूब जायेगा पूरा शहर
लगातार बाधित हो रहा है जलप्रवाह, शहर से बाहर नहीं निकल पा रहा है पानी यथाशीघ्र बनाना होगा ड्रेनेज सिस्टम, नहीं तो चेन्नई जैसी हो जायेगी हालत सहरसा मुख्यालय : सरकार, जिला प्रशासन, नगर परिषद और यहां की जनता नहीं संभली तो वह दिन दूर नहीं, जब सहरसा का हाल भी चेन्नई जैसा हो जायेगा. […]
लगातार बाधित हो रहा है जलप्रवाह, शहर से बाहर नहीं निकल पा रहा है पानी
यथाशीघ्र बनाना होगा ड्रेनेज सिस्टम, नहीं तो चेन्नई जैसी हो जायेगी हालत
सहरसा मुख्यालय : सरकार, जिला प्रशासन, नगर परिषद और यहां की जनता नहीं संभली तो वह दिन दूर नहीं, जब सहरसा का हाल भी चेन्नई जैसा हो जायेगा. बरसात के पानी में नहीं, बल्कि घरों से निकलने वाले गंदे पानी से ही पूरा शहर डूब जायेगा. जलजमाव की यह समस्या पिछले दस वर्षों में अधिक गहरायी है. पूर्व में ड्रेनेज सिस्टम बनाने की बात भी चली थी. लेकिन शासन-प्रशासन की लापरवाही से योजना गर्त में चली गयी है. शहर में जलनिकासी की पुरानी व्यवस्था दो हिस्सों में बनी हुई थी. पहला सहरसा-राघोपुर रेल लाइन के पूरब तो दूसरा इस रेल लाइन से पश्चिम.
पटरी से पूरब के सभी नालों का जमाव रेल लाइन के किनारे से होता बस स्टैंड के पास और बस स्टैंड से पूरब चार जगहों पर खाली क्षेत्र से होता पॉलिटेक्निक ढ़ाला के पास पहुंचता था. जहां से उस पानी की धारा को तिलाबे में जोड़ दिया गया था. इसी रूट में डीबी रोड के पूर्वी नाले सहित पुरानी जेल के पीछे का जलजमाव क्षेत्र भी शामिल था.