ललित बाबू के इलाके को है बड़ी रेल लाइन का इंतजार

सहरसा-राघोपुर छोटी रेल लाइन पर हिचकोले खाते सफर करते हैं यात्री सहरसा सदर : राज्य के पिछड़े इलाके मे शामिल कोसी क्षेत्र आज भी विकास के अभाव में अंग्रेजों द्वारा बनाये गये संसाधन पर ही निर्भर है. आजादी के छ: दशक से अधिक बीतने के बावजूद देश भर में रेलवे द्वारा कई महत्वपूर्ण बदलाव हुआ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 8, 2016 1:10 AM

सहरसा-राघोपुर छोटी रेल लाइन पर हिचकोले खाते सफर करते हैं यात्री

सहरसा सदर : राज्य के पिछड़े इलाके मे शामिल कोसी क्षेत्र आज भी विकास के अभाव में अंग्रेजों द्वारा बनाये गये संसाधन पर ही निर्भर है. आजादी के छ: दशक से अधिक बीतने के बावजूद देश भर में रेलवे द्वारा कई महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है. लेकिन इस बदलाव की बयार में कोशी क्षेत्र वासी आज भी अंग्रेजों द्वारा बिछाई गयी रेल पटरी पर सफर करने को विवश हैं. विभागीय उदासीनता व राशि के अभाव में कोशी क्षेत्र में कई रेल परियोजनाएं मंथर गति से चल रहे हैं.
इस कारण कई परियोजनाएं आज तक पूरी नहीं हो सकी हैं. रेल विभाग द्वारा कई बार लक्ष्य तय होने के बावजूद निर्माण कार्य पूरे नहीं हुए हैं. 1996 के रेल बजट में स्वीकृत कोसी क्षेत्र की छोटी रेल लाइन को बड़ी रेल लाइन में तब्दील करने का काम आज भी अधूरा है. ज्ञात हो कि सहरसा-राघोपुर रेलखंड के बलवा बाजार में देश के तत्कालीन रेलमंत्री ललित नारायण मिश्र की जन्म स्थली है. ललित बाबू द्वारा क्षेत्र में रेलवे को बढ़ाने के लिए कई स्वप्न देखे गये थे. जो आज भी अधूरे है.
सहरसा से फारबिसगंज बड़ी रेल लाइन, सहरसा-फारबिसगंज सकरी लोकहा 206 किलोमीटर अमान परिवर्तन का कार्य आज तक पूरा नहीं हो पाया है. वर्ष 2003 के रेल वजट में 365 करोड़ की लागत से अमान परिवर्तन का कार्य निर्धारित लक्ष्य को बीते कई वर्ष हो गये, बावजूद अब तक पूरा नहीं किया गया है. फारबिसगंज से राघोपुर अमान परिवर्तन को लेकर चार साल से अधिक समय से मेगा ब्लॉक है. लेकिन आज तक बड़ी रेल लाइन बिछाने का काम अधूरा है.
सहरसा से थरबिटिया तक पुरानी छोटी लाइन की पटरी पर आज भी कोसी क्षेत्र के रेल यात्री हिचकोले खाते हुए सफर करने को विवश हैं. पटरी की जर्जर रहने से 30 से 40 किलोमीटर प्रतिघंटे से भी कम रफ्तार पर ही रेलगाड़ी दौड़ पाती है. पांच डब्बे के सहारे इस रेलखंड के यात्री जानवरों की तरह ट्रेन में सफर करने पर मजबूर हैं. जबकि वर्ष 2014 तक कोसी क्षेत्र की सभी छोटी लाइन को बड़ी रेल लाइन में तब्दील करने का विभाग ने लक्ष्य निर्धारित किया था.
लेकिन राशि के अभाव में देश व राज्य का पिछड़ा कोसा क्षेत्र आज भी रेल आवागमन की सुविधा को लेकर उम्मीद लगाये हैं. जीएम की यात्रा से इस रेल बजट में कोसी क्षेत्र की लंबित रेल परियोजनाओं को पूरा होने के बाबत कोसीवासियों की बढ़ गयी है. आगामी रेल बजट में सहरसा से फारबिसगंज व कोसी रेल महासेतु, बनमनखी से बिहारीगंज तक रेल परियोजना व आमान परिवर्तन के लिए राशि दी जा सकती हैं. वही सहरसा से पूर्णिया तक सीधी रेल सेवा को बहाल करने की उम्मीद भी बढ़ गयी है.

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