27 लाख के भवन को कुत्ते का इंतजार

जिले में श्वान दस्ता नहीं है. यदि जरूरत हुई, तो दूसरे जिले से मंगाया जाता है. पुलिस भवन निर्माण विभाग ने श्वान दस्ते के लिए भवन तो बनवा दिया है, लेकिन इस भवन को अब भी कुत्ते का इंतजार है. सहरसा नगर : मुख्यालय स्थित पुलिस लाइन में बीते 18 मई 2015 को ही मुख्यमंत्री […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 27, 2016 3:18 AM

जिले में श्वान दस्ता नहीं है. यदि जरूरत हुई, तो दूसरे जिले से मंगाया जाता है. पुलिस भवन निर्माण विभाग ने श्वान दस्ते के लिए भवन तो बनवा दिया है, लेकिन इस भवन को अब भी कुत्ते का इंतजार है.

सहरसा नगर : मुख्यालय स्थित पुलिस लाइन में बीते 18 मई 2015 को ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लगभग 27 लाख रुपये की लागत से निर्मित श्वान दस्ता भवन का उद्घाटन किया था. जिसका मकसद जिले में होने वाली आपराधिक वारदातों के बाद त्वरित जांच के लिए प्रशिक्षित श्वान को घटनास्थल पर भेजे जाने का था. लेकिन प्रशासनिक सुस्ती की वजह से अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस श्वान भवन में रहने के लिए प्रशिक्षित कुत्तों को नहीं लाया गया है. इस लेटलतीफी की वजह से स्थानीय पुलिस को अनुसंधान में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
सुविधाओं से लैस है घर
पुलिस लाइन में बन चुके श्वान भवन में कुत्ते व उनके प्रशिक्षक सहित पुलिस कर्मी के रहने के लिए कमरे की व्यवस्था है. इसके अलावा कर्मी व कुत्ते के भोजन के लिए बेहतरीन कीचन व वाकिंग के लिए गार्डन की भी सुविधा है. उन कुत्तों के लिए भवन में बाथरूम, सीढ़ी व रैंप भी बनाये गये हैं.
समय के साथ मिट जाता है साक्ष्य
फॉरेंसिक एक्सपर्ट बताते हैं कि घटना स्थल पर बिखरे प्रोपर्टी व रक्त के नमूने कुछ घंटों के बाद साक्ष्य के मामले में कमजोर पड़ने लगते हैं. ऐसे में डॉग स्कवाड का शीघ्र पहुंचना फायदेमंद होता है. जबकि स्थानीय थानों में हत्या, डकैती व चोरी की वारदात के बाद डॉग स्क्वायड को बुलाया जा चुका है. ज्ञात हो कि पूर्णिया, दरभंगा से पहुंचने वाली डॉग रोजी व माका कई बार स्थानीय पुलिस को जांच में सहयोग कर चुकी है. इसके अलावा अति महत्वपूर्ण लोगों के कार्यक्रम से पूर्व भी श्वान दस्ता की मदद सुरक्षा के ख्याल से ली जाती रही है.
अभी सैप का आशियाना
श्वान दस्ता के लिए बने मकान को श्वान नहीं रहने के कारण जिले में पदस्थापित सैप जवानों के जिम्मे डाल दिया गया है. जिसमें सैप के जवान रहते हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि पुलिस विभाग भवन निर्माण तक ही जागरूक रही, लेकिन दस्ता के लिए वरीय अधिकारियों से बात भी नहीं कर रही है.

Next Article

Exit mobile version